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ठगा सा रह गया “बुंदेलखंड”

ठगा सा रह गया "बुंदेलखंड"

TIL Desk #Election/ “कमल” से झोली भर देने वाला बुंदेलखंड एक बार फिर अपने को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है | विधानसभा चुनाव में बुंदेलों ने अपने सात ज़िलों की सभी 19 सीटें भाजपा को समर्पित कर दी थीं | भरोसा था कि योगी सरकार ने तीन या चार मंत्री बनाकर इस पिछड़े क्षेत्र को विकसित करने कि पहल होगी | पर शपथ समारोह में यहाँ कि उपेक्षा दिखी तो लोग ख़ुद को छला हुआ सा मान रहे हैं | क्योंकि पिछली अखिलेश सरकार में भी सपा को आठ सीटें देने के बावजूद इलाके को पूरे पांच साल तक एक भी मंत्री नहीं मिला | 2012 के चुनाव में केवल झाँसी सदर सीट भाजपा के खातें में थी | प्रथक राज्य कि मांग कर रहा यह भू-भाग केवल बसपा सरकार के दौरान ही मंत्रियों के मामले में आगे रहा था |

योगी आदित्यनाथ कि टीम ज्यों-ज्यों शपथ ले रही थी बुन्देलियों कि धड़कने बढ़ रही थी कि अब उनके क्षेत्र का नम्बर आने वाला है | लेकिन अंत में मिला तो एक राज्यमंत्री के रूप में झुनझुना | ऐसा नहीं है कि मंत्रिपद पाने कि योग्यता रखने वालों कि कमी थी | झाँसी से रवि शर्मा दोबारा विधायक बने हैं | मऊरानीपुर सुरक्षित से जीते बिहारी लाल आर्य पहले भाजपा सरकार में ही राज्य मंत्री रह चुके हैं | चित्रकूट के मानिकपुर से विधायक आर के पटेल भी मायावती सरकार ने मंत्रीपद सँभालने के बाद बाँदा के सांसद भी रह चुके हैं | बाँदा सदर से जीते प्रकाश दिवेदी ने पूर्व मंत्री व तीन बार विधायक रहे विवेक सिंह को हराया तो नरैनी से जीत कर आये राजकरन कबीर ने नेता प्रतिपक्ष गयाचरण दिनकर से सीट छीनी हैं पर कोई भी मंत्री पद नहीं पा सका |

बुंदेलखंड के आंसू पोछने को महंत मनोहर लाल पन्त (मन्नू कोरी) को ही राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया | जो ललितपुर कि महरौनी सीट से जीते फ़िर भी वीर बुंदेलों ने यह सोंच कर ही अपने को सांत्वना दे डाली कि चलो स्वतंत्र देव सिंह को ही राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बना दिया | भले ही स्वतंत्र देव मिर्ज़ापुर ज़िले कि पृष्ठभूमि से ही हो पर उनका कर्मक्षेत्र उरई रहा हैं | हालाँकि उन पर यह उपकार बुंदेलखंड के नाते नहीं बल्कि ख़ुद के कद्दावर नेता होने तथा पी एम् मोदी कि सभी रैलियों का कुशल संयोजन करने कि वजह से किया गया हैं |

मंत्रियों के मामले में बसपा शाषन के दौरान बुंदेलखंड कि बल्ले-बल्ले रहीं | जब नसीमुद्दीन सिद्दकी, बाबु सिंह कुशवाहा, दाद्दु प्रसाद व् बादशाह सिंह जैसे बड़े कद वाले मंत्री थे | इनके अलावा समय समय पर जमुना प्रसाद बोस, रविन्द्र शुक्ल, विवेक सिंह, शिवशंकर पटेल, विशम्भर प्रसाद निषाद, बिहारी लाल आर्य, सरीख़े डेढ़ दर्जन से ज्यादा क़द्दावर नेता मंत्री पद से नवाज़े जा चुके हैं अब तो योगी मंत्रिमंडल में मंत्रियों के महज़ 13 स्थान ही रिक्त हैं फ़िर भी लोग उम्मीद लगाएं हैं कि आने वाले समय में विस्तार के दौरान शायद किसी कि लॉटरी लग जाएँ | यहाँ यह भी बताना ठीक होगा कि उरई कर्मभूमि वाले स्वतंत्र देव सिंह को अभी छह माह के अंदर चुनाव लड़ना होगा क्योंकि वह विधानमंडल के किसी भी सदन में नहीं हैं | एम् एल सी के लिए भी कोई जुगाड़ नहीं क्योंकि विधान परिषद् में सिर्फ एक सीट ख़ाली हैं वह भी स्थानीय निकाय क्षेत्र से अतः किसी विधायक को स्तीफा देकर उन्हें चुनाव लड़वाना होगा |

सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
TV INDIA LIVE (Broadcasting Service)
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