कानपुर डेस्क/ राष्ट्रीय हरित विकास प्राधिकरण (एनजीटी) ने गंगा में सीधे नाला गिरने, क्रोमियम वेस्ट डंप करने और उसे शिफ्ट करने की कार्रवाई न करने पर कड़ा जुर्माना लगाया है। वहीं कानपुर देहात के रनियां में खानचंद्रपुर गांव की छह फैक्टियों पर 280 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश शासन पर दस करोड़ रुपये और गंगा में प्रदूषण पर जल निगम एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना आरोपित किया गया है। जुर्माने की रकम से प्रभावित क्षेत्रों में पर्यावरण एवं जनस्वास्थ्य सुधार किया जाएगा।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार गंगा में जहरीले पदार्थ गिरने से रोकने में नाकाम रही है। इसके चलते 1976 से अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका। इसके कारण यहां का भूजल दूषित हुआ और आसपास के निवासियों की सेहत के साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हुआ है। क्षेत्रीय लोगों के स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षा की अनदेखी के लिए शासन उत्तरदायी है। यह अधिकारियों की विफलता की तस्वीर पेश करती है।
एनजीटी ने प्रभावित क्षेत्रों में शोध के लिए समिति के गठन का आदेश दिया, जिसमें जीएसवीएम मेडिकल कलेज, एसएन मेडिकल कलेज आगरा, एसजीपीजीआइ व आरएमएल लखनऊ के विशेषज्ञ रहेंगे और स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सचिव भी शामिल होंगे। सीपीसीबी को आदेशित किया गया कि वह दिशा निर्देश जारी कर सकती है कि किसी भी दशा में सीवेज का पानी बिना शोधन के स्वच्छ जल में प्रवाहित न किया जाए। वहीं एनजीटी ने उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा है कि नालों की सफाई के दौरान जब 122 टेनरियां चल रही थीं तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।