पटना डेस्क/ लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार की राजधानी पटना के गंगा तट सहित राज्य के विभिन्न नदियों, तालाबों और जलाशयों के छठ घाट तैयार हैं। यहां छठव्रती बुधवार को अस्ताचलगामी और गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे। पटना जिले में कुल 96 गंगा घाट व्रतियों के लिए सज-धज कर तैयार हो गए हैं। हालांकि कुछ छठ घाटों में व्रतियों को कुछ परेशानी का सामना करना पड सकता है।
जिला प्रशासन नगर निगम क्षेत्र के 12 घाटों को खतरनाक घोषित कर दिया गया है। पटना जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि जिन घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है, वहां बैरिकेडिंग कर दी गई है। पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि दलदल, तेज ढाल होने और संपर्क पथ खराब होने के कारण इन घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि जिले के 96 गंगा घाटों को तैयार कर दिया गया है, जहां श्रद्धालु आराम से भगवान भास्कर को अर्ध्य दे सकेंगे।
एक अधिकारी ने बताया कि घाट तक आने-जाने वाले रास्तों पर रोशनी की व्यवस्था, साउंड सिस्टम और सजावट की बेहतर व्यवस्था की गई है। इन घाटों पर 300 से अधिक चेंजिंग रूम की व्यवस्था की गई है। इसके अलावे सुरक्षा के ²ष्टिकोण से 130 से अधिक वॉच टावर बनाए गए हैं।
एक अनुमान के मुताबिक पटना के गंगा घाटों पर इस साल पांच लाख छठव्रती अघ्र्य देंगे। प्रशासन इसी अनुमान के मुताबिक गंगा तट पर छठ घाटों की तैयारी की है। इस बीच, कलेक्ट्रेट घाट और महेंद्रू घाट पर जाने के लिए उचित रास्ता नहीं बन पाने के कारण बांस घाट होकर रास्ता बनाया गया है। प्रशासन ने लंबी दूरी होने के कारण रात को इन घाट पर ही छठव्रतियों को ठहरने की व्यवस्था की है।
इधर, राजधानी स्वयंसेवी संस्था और आम लोगों द्वारा छठ घाट जाने वाले रास्तों की साफ-सफाई और खूबसूरत बनाने का काम किया जा रहा है। राजधानी के पार्को में स्थित तालाबों में भी छठ घाट बनाए गए हैं।
इधर, छठ को लेकर सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। गंगा नदी में गश्ती के लिए 18 दंडाधिकारियों को प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों की भी तैनाती की गई हैं। अस्पतालों को भी 24 घंटे खुला रखने के निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 10 दिनों के अंदर तीन बार गंगा में बन रहे छठ घाटों का निरीक्षण किया है और कमी को दूर करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
चार दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व की शुरूआत सोमवार को नहाय-खाय से हो गई है। दूसरे दिन यानी मंगलवार को श्रद्धालु दिनभर निराहार रह कर सूर्यास्त होने की बाद खरना करेंगे। इसके साथ ही 36 घंटे के निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाएगा। पर्व के तीसरे दिन बुधवार को छठव्रती शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित करेंगे उसके बाद गुरुवार को उदीयमान सूर्य के अघ्र्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का व्रत समाप्त हो जाएगा।