ग़ाज़ियाबाद डेस्क/ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने भाजपा, सपा, कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि भाजपा के राज में विकास की जगह केवल घोषणाएं और शिलान्यास हुए। सपा के राज में गुंडों और माफियाओं का राज रहा। गाजियाबाद के कविनगर रामलीला मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा, सपा और कांग्रेस पर निशाना साधा।
भाजपा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, भाजपा सरकार की नीतियां और कार्यशैली अधिकांश जातिवादी, पूंजीवादी और आरएसएस के संकीर्ण नजरिए को लागू करने पर टिकी रही हैं। धर्म के नाम पर यहां तनाव व नफरत आदि का वातावरण ही बनाया जा रहा है। इन्होंने सिर्फ कोरी घोषणाएं की है। जबकि सपा राज में दंगों का जिक्र करते हुए बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सपा सरकार में दंगों और अपराध के बोलबाला होने से जनता त्रस्त थी। सपा सत्ता के सत्ता में होने पर दलित व पिछड़ों के साथ सौतेला व्यवहार होने के साथ संतों और महापुरुषों का अपमान हुआ। उन्होंने कहा कि यूपी में दोनों के शासनकाल में जनता दुखी रही।
मायावती ने कहा कि कोर्ट के निर्णय की आड़ में अनुसूचित वर्ग के अधिकारियों का शोषण, शुल्क प्रतिपूर्ति रोकने, कांशीराम विश्वविद्यालय का नाम, भूमि खरीद का नियम के साथ लखनऊ में भीमराव अम्बेडकर पार्क का नाम बदल दिया गया। अखिलेश यादव की सरकार में कमजोर वर्ग की जमीन को हथियाने का काम किया गया। सपा की नीतियां दलित विरोधी रही हैं।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा सरकार के विकास के दावे दिखावा हैं। भाजपा केवल धर्म के नाम पर नफरत फैला रही है। भाजपा राज में बढ़ रहे अपराध के आंकड़ों को छिपाया जाता है। भाजपा शासन में दलित और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। मीडिया आंकड़ों को दिखाने की जगह दबाने का काम करती है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यूपी विधानसभा में बसपा अकेले चुनावी मैदान में है। 2007 की तरह प्रदेश में फिर से बहुजन समाज पार्टी की बहुमत की सरकार होगी। उनके शासन में फिर से अच्छे दिन आएंगे। कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस और केंद्र में उसकी सरकार की गलत नीतियों के कारण बसपा प्रदेश की सत्ता से बाहर हुई। कांग्रेस पार्टी शुरू से दलित विरोधी रही है। कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहब को भारत रत्न नहीं दिया। साथ ही कांशीराम के देहांत पर एक दिन का राजकीय अवकाश भी घोषित नहीं किया। कांग्रेस दलितों और आदिवासियों के वोट के लिए हमेशा झूठे वादे किए।