नयी दिल्ली डेस्क/ बिहार सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह राजद के विवादास्पद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को सीवान जेल से दिल्ली की तिहाड जेल में स्थानांतरित करने के खिलाफ नहीं है। राज्य सरकार, जिसमे राजद गठबंधन का साझेदार है, ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो के रूख से सहमति व्यक्त की। जांच ब्यूरो पहले ही शीर्ष अदालत के इस सुझाव पर सहमति व्यक्त कर चुका है कि शहाबुद्दीन को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए क्योंकि बिहार में उसकी सतत् उपस्थिति उसके खिलाफ लंबित तमाम आपराधिक मामलों की सुनवाई पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।
सरकार ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ के समक्ष कहा कि शहाबुद्दीन पर झारखंड में एक मामले सहित 45 मुकदमे चल रहे हैं। बिहार सरकार के वकील ने कहा, ‘हम आरोपी (शहाबुद्दीन) को तिहाड़ जेल में स्थानांतरित करने के खिलाफ नहीं है परंतु न्यायालय को उसके विरूद्ध लंबित मुकदमों की सुनवाई के तरीके पर भी फैसला करना चाहिए।’ सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘आप (बिहार सरकार) शहाबुद्दीन के खिलाफ सभी मामलों की सूची दाखिल करें। इनमें वे मामले भी शामिल हों जिनमें उसे सजा सुनायी जा चुकी है या उसे बरी कर दिया गया है।’ इस पर वकील ने कहा कि यह सूची पहले ही दाखिल की जा चुकी है और यह शीर्ष अदालत के रिकार्ड का हिस्सा है।
सीवान निवासी चंद्रकेश्वर प्रसाद, जिनके तीन पुत्रों की दो अलग अलग घटनाओं में हत्या कर दी गयी थी, की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि ये सभी घटनायें शहाबुद्दीन के सीवान जेल में रहने के दौरान ही हुयी। उन्होंने न्यायालय को यह भी सूचित किया कि शहाबदु्दीन ने विभिन्न मुकदमों में अपने बचाव के लिये कानूनी सहायता और वकील की सेवायें लेने की सुविधाओं के अभाव का आरोप लगाया था। इस संबंध में उसका अनुरोध निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया था।