ज़रूर पढ़े- सूर्य ग्रह मानव शरीर में स्थिर होकर जीवन भर कष्टदायी बना रहता है| मन में संताप रहता है, आपके अपने ही लोग आपका शोषण करते हैं, आपकी सहायता नहीं करते है|
1. चन्द्रमा के शत्रु सूर्य द्वादश भाव में विघ्नों का विधान बनाते है| संतान अपव्ययी, अविवेकी एवं नेत्र ज्योति से रोगी होता है|
2. अष्टम में सूर्य होने से अल्प संतान या है तो अल्प आयु तथा अनियमित दिनचर्या होगी|
3. सातवें भाव में सूर्य दाम्पत्य जीवन में विलासिता की जगह दण्ड मिलता है|
4.सूर्य के तृतीय भाव में स्थित होने से बंधुहीन, ह्रदय में शल्य क्रिया, दाहिने घुटने में शल्य क्रिया| संतानो के व्यवहार से असंतुष्ट भाग्य में अवरोध वाला होता है|
5. सूर्य अपने चौथे भाव में जातक को निर्धन, अचल संपत्ति से हीं ह्रदय में व्यधिवाला, ठगी का शिकार|
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