TIL Desk #Election / समाजवादी आंदोलन को एक नयी पहचान देने वाले सभी के “नेता जी” मुलायम सिंह यादव आख़िर कितने मुलायम है | यह सब पिछले साढ़े चार महीनों में सभी ने देखा | राजनीतिज्ञों ने उनके कई रंग व् उतार-चढ़ाव देखें हैं | पर यह शायद पहली बार हुआ हैं कि मुलायम हर दो-चार दिन तो दूर सपा में संग्राम के दौरान वे सुबह कुछ बोले तो दोपहर में कोई और बात कह कर सियासी रंग बदल दिया | वहीँ रात होने तक कोई नया राग छेड़ दिया | उनकी यही मनोदशा देख कर ही शायद बेटे अखिलेश ने समाजवादी पार्टी का सर्वेसर्वा बनने का फ़ैसला कर डाला | चुनाव आयोग में बेटे को सफलता मिलते देख मुलायम ने अदालत का दरवाजा भी नहीं खटखटाया | उनके द्वारा दी गयी 38 प्रत्याशियों की सूची भी अखिलेश ने नहीं मानी | पर कांग्रेस से चुनावी गठबंधन होते देख उनके तेवर फिर बदल गए बोले “ग़लत हुआ हैं, मैं प्रचार नहीं करूँगा” | तीन दिन बाद ही उनके यह बयान देते ही कि अखिलेश और उनके उम्मीदवारों को उनका आशीर्वाद हैं, वे नौ फ़रवरी से उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करेंगे | छोटे भाई शिवपाल का चेहरा बदरंग हो गया, जो सपा से नामांकन करने के बावजूद मतगणना के बाद नयी पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके थे |
यह सब कुछ यही संकेत करता हैं कि अब मुलायम सिंह ज़रूरत से ज्यादा मुलायम हो गए हैं | रबर कि तरह वे किसी भी ओर मुड़ने लगते हैं | अपना राजनीतिक सफर शुरू करने से पहले उन्होंने भैंस चराई, खेतो में मड़ाई की व् अखाड़ों में कुश्तिया भी लड़ी | गाँव सैफई के प्रधान महेंद्र सिंह से रात को वर्ण मालाएं, गिनती, पहाड़ा, गुणा-भाग सीख वे प्राइमरी स्कूल एडमिशन कराने पहुँचे तो अध्यापक सुजान सिंह उनका टेस्ट लेकर बहुत प्रभावित हुए थे |
वर्ष 1967 में डॉ लोहिया से प्रभावित होकर वे समाजवादी आंदोलन में कूदे | राजनीतिक सफर में अजीत सिंह को धराशाई कर, वे उन्ही के पिता चौधरी चरण सिंह के कृपा पात्र बने | लोकदल को एक मुकाम तक पहुँचाने के बाद 5 नवम्बर 1992 को समाजवादी पार्टी बनायीं | तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री व् केंद्र में रक्षामंत्री का दायित्व संभाला | वर्ष 2012 के चुनाव में जब सपा को पूर्ण बहुमत मिला तो कठिन परिश्रम करने वाले बेटे अखिलेश को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से नवाज़ा | यह सब उनके नरम दिल यानि कि मुलायम होने का ही कारक था |
पर हालात बदले अखिलेश ने साढ़े तीन साल का समय तो सपाई हालातों के चलते काटा फिर उन्होंने शुरू किया पार्टी में सुधार व् स्वच्छ छवि का काम जो बड़े सपाइयों को रास न आया और उन्होंने मुलायम के कान भरना शुरू किये | अब अखिलेश अड़ गए और समाजवादी कुनबे में चला घमासान | इस बीच नेता जी का मन कई बार बदला पर अब लगता हैं उन्हें बेटे की राह समझ आ गयी हैं | फिर भी कुछ कहा नहीं जा सकता वे कब रूठ जाएं | इसीलिए समझदार लोग अखिलेश के ही पाले में चल रहे हैं |
सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
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