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लखनऊ: लोहिया विधि विवि द्वारा आयोजित 2 दिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ

लखनऊ: लोहिया विधि विवि द्वारा आयोजित 2 दिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ

TIL Desk लखनऊ:👉डॉ० राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ की संगोष्ठी समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हुआ। इस वर्ष संगोष्ठी का विषय “भविष्य का निर्माण: विधि, नीति और डिजिटल क्रांति” था।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ० अमर पाल सिंह और विशिष्ट अतिथि श्री शिलाओ राव रहे। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के फैकल्टी समन्वयक डॉ० प्रसन्नजीत कुंडू ने सभी का कार्यक्रम में स्वागत किया एवं सेमीनार रिपोर्ट प्रस्तुत करी।

विशिष्ट अतिथि श्री शिलाओ राव ने उल्लेख किया कि डिजिटल प्रगति के परिणामस्वरूप आज प्रत्येक जानकारी मात्र एक क्लिक पर सुलभ हो गई है, जिससे न्यायिक प्रक्रियाएं एवं विधिक अध्ययन अधिक प्रभावी हुए हैं। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को तकनीक के उपयोग में दक्ष बनाया जाना चाहिए ताकि वे आधुनिक विधिक परिदृश्य में प्रभावी रूप से कार्य कर सकें। साथ ही, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसने डिजिटल प्रगति एवं विधि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला, जिससे प्रतिभागियों को गहन अंतर्दृष्टि एवं दिशा-निर्देश प्राप्त हुए। उन्होंने विनोद करते हुए कहा कि आने वाले ए.आई. युग में मनुष्य आरक्षण की जरूरत न पड़े। उन्होंने कहा कि भविष्य में AI जनरेशन विश्व पर प्रभावी रूप से हावी होगी, क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) लगातार विकसित हो रही है और विभिन्न क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता बढ़ती जा रही है। स्वचालन, डेटा विश्लेषण और निर्णय लेने की क्षमताओं के चलते AI न केवल विधि क्षेत्र, बल्कि उद्योग, चिकित्सा, शिक्षा और शासन प्रणाली को भी प्रभावित करेगा।

डॉ० अमर पाल सिंह ने विधि क्षेत्र में निरंतर सीखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि तकनीक एक प्रभावी साधन है, जो इस प्रक्रिया को सरल बनाता है, लेकिन अत्यधिक निर्भरता हानिकारक हो सकती है। पहले जहां अधिवक्ता और छात्र संदर्भ के लिए पुस्तकों पर निर्भर होते थे, अब तकनीक से यह प्रक्रिया त्वरित हो गई है। अंत में, उन्होंने संगोष्ठी में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और उनकी सक्रिय भागीदारी की सराहना की।डिजिटल क्रांति ने विधि क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन लाए हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया अधिक सुगम, सुलभ और प्रभावी हुई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि डिजिटल प्रगति के साथ अधिवक्ताओं और विधि विशेषज्ञों को तकनीकी दक्षता प्राप्त करनी चाहिए, ताकि वे इस बदलाव का अधिकतम लाभ उठा सकें।

2 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में 200 से अधिक एब्सट्रेक्ट आए और 80 अभियर्थियों ने शनिवार और रविवार को शोध पत्र प्रस्तुत किए । शोधपत्र प्रस्तुति में प्रथम स्थान पे आयुष्मान और अथर्व तिवारी, दूसरे स्थान पे दीप्ति थॉमस सुसन और तीसरे स्थान पे कार्तिकेय सिंह और वैभव गर्ग अय्यर रहे । तीनो विजेताओं को ट्रॉफी व पुरुस्कार धनराशि देकर सम्मानित व प्रोत्साहित किया ।

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