कुशीनगर
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बुलडोजर ऐक्शन हुआ है। लंबे विवाद और कानूनी प्रक्रियाओं के बाद प्रशासन ने मदनी मस्जिद के नाम पर कब्जाई जमीन खाली करानी शुरू की है। मौके पर छह बुलडोजर पहुंचे। भारी सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की तैनाती के बीच अवैध निर्माण को जमींदोज किया जा रहा है। इस मामले में पिछले साल 18 दिसम्बर से जांच चल रही थी। प्रशासन का कहना है कि इस मामले में पक्षकारों को तीन बार नोटिस जारी किया गया लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का ऐक्शन लिया जा रहा है।
कुशीनगर के हाटा नगर के नगर के वार्ड नंबर 21 गांधी नगर में नगरपालिका कार्यालय के पीछे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर यह अवैध निर्माण किया गया था। रविवार को एसडीएम हाटा योगेश्वर सिंह, सीओ कसया कुंदन सिंह, ईओ हाटा मीनू सिंह की देखरेख में दोपहर से बुलडोजर ऐक्शन शुरू हुआ। प्रशासन का कहना है कि मस्जिद के नाम से कोई जमीन नहीं है। उनके पक्षकार के नाम 15 डिस्मिल जमीन है। बाकी 23 एअर नगरपालिका की जमीन पर अतिक्रमण कर मस्जिद के नाम पर अवैध निर्माण कराया जा रहा था।
अधिकारियों का कहना है कि नगरपालिका द्वारा बार-बार मना करने यहां तक कि तीन नोटिस देने के बाद भी पक्षकार ने अवैध कब्जे को नहीं हटाया। एसडीएम योगेश्वर सिंह का कहना है कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर यह बेदखली की कार्रवाई की जा रही है। वहीं, ईओ मीनू सिंह ने बताया कि जिस निर्माण के खिलाफ ऐक्शन लिया गया है उसका नक्शा पास नहीं है। कार्रवाई के दौरान कोतवाल सुशील कुमार शुक्ल के अलावा भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी मौजूद रही। पूरे हाटा नगर में पुलिस अलर्ट पर है। बुलडोजर ऐक्शन के दौरान चप्पे-चप्पे पर फोर्स मुस्तैद रही।
हिन्दूवादी नेता ने सीएम पोर्टल पर की थी शिकायत
पिछले साल दिसम्बर महीने की 17 तारीख को हिंदूवादी नेता रामबचन सिंह ने सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी कि हाटा में मस्जिद बनाने के नाम पर कब्जे की जमीन पर अवैध निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने निर्माण में हुई फंडिंग पर भी सवाल उठाया था। इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। 5 दिन की जांच-पड़ताल के बाद अपनी जिला प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी इसी आधार पर नगरपालिका प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की। नगर पालिका ने मस्जिद प्रबंधन को नक्शा और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तीन बार नोटिस जारी किया था। लेकिन पक्षकारों की ओर से तय समय में कागजात न प्रस्तुत करने पर नगर पालिका ने इसे अवैध निर्माण मानते हुए कार्रवाई का फैसला लिया। इसके बाद पक्षकारों ने हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट से इस पर 8 फरवरी तक का स्टे मिला था। 9 फरवरी को स्टे की मियाद खत्म होते ही प्रशासन ने अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी। प्रशासन का कहना है कि सिर्फ अवैध निर्माण पर ऐक्शन लिया गया है।