वाराणसी
महाकुंभ आरंभ होने के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में उमड़े भक्त बाबा के चरणों में खुले हृदय से समर्पण कर रहे हैं। श्रद्धालुओं ने अब तक एक माह में लगभग सात करोड़ रुपये हुंडियों में नकद अर्पित किए हैं। इनमें अभी समर्पित सोने-चांदी के दान की गणना नहीं की जा सकी है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विशिष्ट विकास क्षेत्र उपजिलाधिकारी शंभूशरण ने बताया कि अभी नकद राशि के बारे में यह अनुमान ही है, पूरी गणना होने के बाद और स्वर्ण-रजत के दान जोड़ने के बाद पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। अतिरिक्त के साथ सोने व चांदी के दान का मिलान अभी किया जाना शेष है।
एक माह में मिला अब तक का सर्वाधिक दान
भक्तों के समर्पण और आस्था का यह बिंदु तब है जब महाकुंभ के बाद धाम में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मंदिर प्रशासन ने सुगम दर्शन और आरती सहित सभी टिकटों की बिक्री को महाशिवरात्रि तक रोक दिया है। यह मंदिर प्रशासन को एक माह में मिला अब तक का सर्वाधिक दान बताया जा रहा है।
फरवरी महीने में 77 लाख से अधिक श्रद्धालु
बीते जनवरी माह में जहां 1.08 करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे तो फरवरी के महीने अब तक के 13 दिनों में ही यह संख्या 77 लाख के पार पहुंच चुकी है। महाशिवरात्रि तक अभी भक्तों का भारी जनप्रवाह बने रहने की प्रबल संभावना है। उपजिलाधिकारी ने बताया कि पर्वों की इस भारी भीड़ में व्यस्तता के कारण अभी गणना पूरी तरह से नहीं की जा सकी है, यह एक अनुमानित आंकड़ा है। गणना पूरी होने पर ही वास्तविक राशि का पता चलेगा।
नागा संन्यासियों के दर्शन को उमड़ रही भीड़
महाकुंभ से लौटे जूना अखाड़ा के संन्यासियों की संख्या काशी में पहली राजसी यात्रा के पश्चात और बढ़ गई है। प्रयागराज की दमक अब काशी की चमक बन गई है। यहां गंगा घाटों पर बने छोटे-छोटे शिविरों में नागा संन्यासियों ने अपना डेरा बना लिया है।
ये लोगों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र बिंदु बने हुए हैं, उनके दर्शन के लिए प्रतिदिन हजारों लोग वहां उमड़ रहे हैं तथा संतों की रज लेकर माथे से लगा रहे हैं। जूना अखाड़ा के अतिरिक्त अन्य शैव अखाड़ों के संत भी काशी पहुंच गए हैं और गंगा घाटाें पर अपने-अपने शिविर स्थापित कर लिए हैं।