रांची।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देशानुसार आदिवासी कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने सिरमटोली फ्लाईओवर निर्माण स्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने वहां के विभिन्न पहलुओं की गहन समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि निर्माण कार्य के दौरान सरना स्थल की पवित्रता और आदिवासी समाज की धार्मिक भावनाओं का विशेष ध्यान रखा जाए।
निरीक्षण के दौरान मंत्री लिंडा ने कहा कि सरना धर्मस्थल सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की आस्था और परंपरा का प्रतीक है। वर्षों से यहां धार्मिक अनुष्ठान होते आ रहे हैं और यह स्थान सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने अधिकारियों और निर्माण कंपनी को निर्देश देते हुए कहा कि फ्लाईओवर की ऊंचाई पर्याप्त होनी चाहिए ताकि श्रद्धालुओं को वहां आने-जाने में किसी भी तरह की परेशानी न हो। अगर ऊंचाई कम रखी गई तो इससे दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ सकती है।
बैठक में संस्कृति की रक्षा पर दिया जोर
मंत्री चमरा लिंडा ने सिरमटोली के स्थानीय लोगों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं और चिंताओं को सुना। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आधुनिक विकास कार्यों की जरूरत है, लेकिन यह किसी भी समुदाय की धार्मिक आस्था और परंपराओं को प्रभावित किए बिना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरना स्थल हमारी माता का स्थान है और हम वहां पूरी प्रकृति की रक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। इस स्थल की पवित्रता और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है।
आदिवासी समाज में गहरी नाराजगी
रांची के सिरमटोली इलाके में बन रहे फ्लाईओवर को लेकर आदिवासी समाज में विरोध के स्वर तेज हैं। समुदाय के लोगों का मानना है कि निर्माण कार्य के कारण सरना धर्मस्थल की पवित्र भूमि प्रभावित हो रही है, जिससे उनकी आस्था को ठेस पहुंच रही है। इस मुद्दे को लेकर फ्लाईओवर निर्माण कंपनी एल एंड टी ने सफाई दी है। कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि फ्लाईओवर के नए डिजाइन पर काम चल रहा है और इसे मंजूरी मिलने में लगभग 15 दिन का समय लगेगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरना स्थल की पवित्रता बनाए रखने और यातायात को सुचारू रूप से चलाने के बीच संतुलन बनाकर समाधान निकाला जाएगा।
बैठक में विधायक और अन्य प्रतिनिधि भी रहे मौजूद
इस महत्वपूर्ण बैठक में खिजरी विधायक राजेश कच्छप सहित अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि और समाज के प्रमुख लोग मौजूद रहे। सभी ने इस मुद्दे पर एकमत होकर सरना स्थल की पवित्रता और आदिवासी समाज की आस्था को प्राथमिकता देने की मांग की।