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हरियाणा :आतंकी अब्दुल रहमान को लेकर नए खुलासे, माता-पिता भी जांच एजेंसियाों के रडार पर

फरीदाबाद
 हरियाणा एसटीएफ और गुजरात एटीएस के जॉइंट ऑपरेशन में गिरफ्त में आए संदिग्ध आतंकी अब्दुल रहमान के बारे में रोज़ नई बातें सामने आ रही हैं। सूत्रों ने बताया कि आरोपी के पिता अबू बकर और मां आसमीन भी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। यूपी एटीएस समेत अन्य एजेंसियां उनसे लगातार पूछताछ कर रही हैं। आरोपी के गांव की पूर्व प्रधान नीरा ने बताया कि जिस दिन रहमान को हरियाणा एसटीएफ ने पकड़ा था, उसी दिन रात में करीब सात गाड़ियों में भरकर पुलिसकर्मी उसके घर पहुंचे। घर की तलाशी लेने के साथ ही पूछताछ की थी। पुलिस के आने पर आरोपी की मां ने पूर्व प्रधान के पति पवन यादव को फोन कर मदद भी मांगी थी।

एक मार्च को यह कहकर घर से निकला कि दोस्त के साथ जा रहा हूं
बताया जा रहा है कि आरोपी अपने घर से 1 मार्च को यह कहकर निकला था कि वह तीन दिन तक अपने दोस्त के साथ जरूरी काम से जा रहा है। रिजर्वेशन न होने के कारण वह जनरल टिकट लेकर किसी ट्रेन से दिल्ली आया। हजरत निजामुद्दीन में रुकने के बाद दो मार्च को फरीदाबाद पहुंचा। 4 मार्च को उसे घर वापस लौटना था, इसके लिए उसने आईएसबीटी से प्राइवेट बस से टिकट पहले ही बुक करा रखा था। सूत्रों का यह भी कहना है कि आरोपी के साथ 4-5 अन्य लोग भी निजामुद्दीन आए थे। हरियाणा एसटीएफ, यूपी और गुजराज एटीएस समेत अन्य एजेंसियां आरोपी के संपर्कों की तलाश में जुटी हैं।

खंगाले जा रहे सीसीटीवी फुटेज
सूत्रों ने बताया कि विभिन्न जांच एजेंसियां अब अयोध्या से लेकर नई दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन तक लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरू कर दी हैं। पता लगाया जा रहा है कि आरोपी किन-किन रास्तों का उपयोग करते हुए पाली गांव जा रहा था। इसमें फरीदाबाद स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से लगाए गए कैमरों की भी मदद ली जा रही है। आरोपी के मोबाइल में कई संदिग्ध चीजें एजेंसियों को मिली हैं। सूत्रों ने बताया कि हैंडलर फोन के जरिए उससे लगातार संपर्क में थे। गुजरात एटीएस दोनों के बीच होने वाली बातचीत और लोकेशन को ट्रैस कर रही थी। लोकेशन के आधार पर ही हरियाणा एसटीएफ को इनपुट मिल रहे थे।

पांच वक्त का नमाजी है आरोपी
आरोपी के गांव मजनाई की पूर्व प्रधान एवं लखनऊ हाई कोर्ट की एडवोकेट नीरा यादव ने एनबीटी से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि अब्दुल का पूरा परिवार बेहद गरीब है। पिता अबू बकर पांच भाई हैं। चार भाई सूरत में रहकर कपड़ा बनाने वाली कंपनियों में नौकरी करते हैं, जबकि अबू बकर कपड़े सिलते थे। साल 2011-12 में उन्होंने घर आकर चिकन की दुकान खोली। नीरा साल 2015 से 2020 में गांव की प्रधान रही हैं। वह इस परिवार को बखूबी जानती हैं। आरोपी से कई बार मिल चुकी हैं। उन्होंने बताया कि परिवार लाल राशन कार्ड बनवा हुआ है। आरोपी रहमान लोगों से बहुत कम बातचीत करता था। उसकी पोशाक हमेशा मौलवियों जैसी ही रहती थी। इतनी कम उम्र में भी वह पांच वक्त की नमाज पढ़ता था।

आरोपी के बाबा का मरकज से रहा है संबंधपूर्व प्रधान का दावा है कि आरोपी रहमान के बाबा रहमतुल्ला का निजामुद्दीन के मरकज (मीटिंग वाली जगह) से संबंध रहा है। वह भी अक्सर यहां आते जाते थे। करीब 10 साल पहले बाबा का इंतकाल हो गया। अपने बाबा को देखकर ही अब्दुल रहमान ने मरकज में आना जाना शुरू किया।

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