Madhya Pradesh, State

मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला में भीषण आग, 10 हजार से ज्यादा गौवंश मौजूद, आग बुझाने का काम जारी

ग्वालियर
 मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला के नाम से विख्यात ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला में एक बड़ा हादसा हो गया। हादसा इतना गंभीर था कि यहां रहने वाली 10000 गोवंशों की जान पर बन आई। लाल टिपारा गौशाला में आग की तेज लपटें उठते देखा सभी का जी घबरा गया। वहीं, इस घटना ने यहां मौजूद प्रबंधन के भी कान खड़े कर दिए। प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला में आग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होना नगर निगम की बड़ी लापरवाही को दर्शाता है।

गौशाला संरक्षक संत ऋषभदेव आनंद महाराज ने बताया कि घटना के पहले यहां होली को लेकर एक बैठक चल रही ही थी कि यह हादसा हुआ। शॉर्ट सर्किट की वजह से पराली के तैयार किए गए सोफों में आग लग गई। गौशाला में सुरक्षा के इंतजाम इतने बेहतर नहीं थे। जिसकी वजह से आग बढ़ती गई और तकरीबन आधे घंटे तक यह क्षेत्र आग की चपेट में रहा। लगभग 25 मिनट के बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया।
गनीमत रही कोई हताहत नहीं हुआ

गौशाला संरक्षक ने बताया कि अच्छी बात है की घटना दिन के समय हुआ। सभी लोग उस जगह पर मीटिंग कर रहे थे। इसलिए वहां कोई गौवंश नहीं थे। अच्छी बात की कोई हताहत नहीं हुआ। ना ही कोई गाय हताहत हुई है। ना किसी व्यक्ति विशेष घायल हुआ है। यह घटना अपने आप में सीख भी है कि शॉर्ट सर्किट के चलते ऐसी घटनाएं हो सकती है। इनका हम अवलोकन करें।
हो सकता था बड़ा हादसा

आपको बता दें कि गौशाला परिसर में ही बायो सीएनजी प्लांट भी लगा हुआ है। इसमें गोबर के माध्यम से सीएनजी बनाने का काम भी चालू हो चुका है। यदि यह आग फैलने हुए प्लांट तक पहुंच जाती तो यह हादसा बहुत बड़ा हो सकता था। इस मामले को लेकर समिति के प्रबंधक ऋषभदेव आनंद महाराज का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में गोवंश और बड़े परिसर को देखते हुए यहां पर सुसज्जित रूप से तैयार फायर ब्रिगेड उपलब्ध रहनी चाहिए। जिससे यदि इस प्रकार का कोई हादसा होता है तो उसे पर नियंत्रण पाया जा सके।

नगर निगम की सुरक्षा पर उठे सवाल

आपको बता दें कि प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला में इस समय लगभग 10000 से अधिक गोवंश मौजूद है। साथ ही उनकी सेवा के लिए यहां सैकड़ों लोग काम करते हैं। ऐसे में गौशाला के अंदर अग्निशमन यंत्रों और तकनीकी रूप से आग को काबू नहीं कर पाने के इंतजाम ना होना एक बड़ा विषय है। इस गौशाला का संचालन नगर निगम की किया जाता है। ऐसे में यह हादसा नगर निगम की लापरवाही को भी दर्शाता है।

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