शिवपुरी
शिवपुरी जिले में मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड की परियोजनाएं महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल कर रही हैं। महिलाओं के लिए पर्यटन क्षेत्र रोजगार का मुख्य साधन बन रहा है। विभिन्न स्तरों पर महिलाओं को नए काम देकर पर्यटन रोजगार से जोड़ा जा रहा है। जिले में सुरक्षित पर्यटन स्थल के अंतर्गत सहयोगी संस्था रागनी फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षित महिला टूरिस्ट गाइड माधव राष्ट्रीय उद्यान में गाइड के रूप कार्य कर रही हैं, जो महिलाओं के जीवन यापन के लिए पर्यटन क्षेत्र में रोजगार का मुख्य साधन बनी हैं।
शिवपुरी में सुरक्षित पर्यटन परियोजना को बढ़ावा देने की पहल के पीछे मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक यहां पर आएं। इसी क्रम में प्रशिक्षित महिला टूरिस्ट गाइड को बढ़ावा दिया जा रहा है। महिलाओं को पर्यटन प्रबंधन और देखभाल प्रशिक्षण जैसी गतिविधियां और अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नियोक्ता को जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीण पर्यटन से लेकर होटल प्रबंधन और हस्तशिल्प कला तक, मध्यप्रदेश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का उपयोग कर रोजगार भी पा रही हैं एवं पर्यटन बढ़ाने के महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही हैं।
ग्रामीण फार्मस्टे, होमस्टे से भी मिला रोजगार
मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में मप्र पर्यटन बोर्ड द्वारा जिला प्रशासन के साथ मिलकर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए फार्म स्टे योजना से ग्रामीणों महिलाओ को जोड़ा जा रहा है। मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड द्वारा फार्म स्टे के माध्यम से देसी-विदेशी पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति से जोड़ने की पहल की गई है। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूरिज्म बोर्ड लगातार प्रयासरत है। सशक्त ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित मिट्टी के होमस्टे और उनकी खूबसूरत हस्तकला पेंटिंग मध्य प्रदेश पर्यटन को भारतीय पर्यटन में एक नया मानक स्थापित कर रही हैं।
इनवेस्टर्स समिट में आए मेहमानों को दी गई महिलाओं की बनाई जैकेट
बीते दिनों भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आयोजित दो दिवसीय इनवेस्टर्स समिट में भी शिवपुरी की बदरवास क्षेत्र की महिलाओं द्वारा बनाई जाने वाले मोदी जैकेट भी यहां पर आए मेहमानों को दी गईं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा स्टार्ट-अप समिट आधारित सत्र में भोपाल में एमएसएमई की तरफ से मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर बदरवास जैकेट दी गई। यह मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के बदरवास में महिलाओ द्वारा बनाई गई थी। बदरवास की इन महिलाओं को आज जैकेट निर्माण से अच्छा खासा रोजगार मिल रहा है।