रायसेन
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के मखनी गांव से हैरान करने वाला मामला सामने आया। यहां वक्फ बोर्ड ने सात परिवारों को 7 दिन के अंदर उनकी जमीन खाली करने का नोटिस दिया है। वक्फ बोर्ड ने नोटिस देते हुए दावा किया है कि ये उसकी सपंत्ति है,और कहा 7 दिन के अंदर जमीन करें खाली नहीं तो करेंगे कानूनी कार्रवाई। वक्फ बोर्ड का नोटिस मिलने से किसान परेशान हो गए और न्याय के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा को आवेदन देकर हस्तक्षेप कर वक्फ बोर्ड पर कार्रवाई करने की मांग की है।
आपको बता दें कि ग्राम माखनी के सात परिवार कई पीढ़ियों से इसी जमीन पर रहकर निवास कर रहे हैं। इतना ही नहीं सरकारी खसरे में ये जमीन सरकारी बताई जा रही है। ग्रामीणों को इसी जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना की कुटीर भी मिली हुई है। इसके बाद भी अचानक वक्फ बोर्ड के नोटिस मिलने से ग्रामीण परेशान है।
मंदिर और मुक्तिधाम को लेकर चिंतित
नोटिस मिलने के बाद ग्रामीण रामकली का का कहना है कि हमारी जान चली जाए लेकिन इस जमीन को खाली नहीं करेंगे। वहीं, उन्होंने कहा कि प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर और शमशान घाट भी इसी जमीन पर बना है। एक किसान ने सवाल किया कि अगर यह बक्फ बोर्ड की जमीन थी तो फिर हमें प्रधानमंत्री आवास योजना की कुटीर कैसे मिली? इस मामले में ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि कुछ भी हो जाए ना हम अपने मंदिर को तोड़ने नहीं देंगे और ना ही ये जमीन को खाली करेंगे। ना ही मकान को तोड़ेंगे।
हिंदू संगठनों ने दर्ज कराया विरोध
लेकिन इस घटनाक्रम के बाद हिंदूवादी संगठन सक्रिय होकर ग्राम माखनी पहुंचे और स्पष्ट रूप से कहा कि इस जमीन पर प्राचीन मंदिर बना हुआ है। जिसे किसी भी सूरत में तोड़ने नहीं दिया जाएगा। जो परिवार यहां रह रहे हैं उनको नहीं हटाने दिया जाएगा। इतना कहते हुए हिंदू संगठनों ने आस्था पर हमला बोलते हुए विरोध शुरू कर दिया है।
इस मामले में रायसेन कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा कलेक्टर का कहना है कि मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराएंगे कि आखिर बक्फ बोर्ड ने किस आधार पर नोटिस जारी किया है। दोनों पक्षों को सुनकर न्याय संगत कार्रवाई करेंगे।
मामले में ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि कुछ भी हो जाए, हम अपने मंदिर को तोड़ने नहीं देंगे और न ही ये जमीन को खाली करेंगे और मकान को तोड़ेंगे। वहीं, इस मामले में रायसेन कलेक्टर का कहना है कि मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराएंगे कि आखिर बक्फ बोर्ड ने किस आधार पर नोटिस जारी किया है और दोनों पक्षों को सुनकर न्याय संगत कार्रवाई करेंगे।
लेकिन इस घटनाक्रम के बाद हिंदूवादी संगठन सक्रिय होकर ग्राम माखनी पहुंचे और स्पष्ट रूप से कहा कि इस जमीन पर प्राचीन मंदिर बना हुआ है, जिसे किसी भी सूरत में तोड़ने नहीं दिया जाएगा और जो परिवार यहां रह रहे हैं, उनको नहीं हटाने दिया जाएगा।
जान चली जाए, जमीन नहीं छोड़ेंगे- ग्रामीण
पीड़ित ग्रामीण रामकली बाई ने कहा, "हमारी जान चली जाए, लेकिन हम यह जमीन नहीं छोड़ेंगे।" रानू मालवीय ने सवाल किया, "अगर यह वक्फ की जमीन थी, तो हमें प्रधानमंत्री आवास कैसे मिला?" प्रभुलाल ने कहा, "हमारा मंदिर और श्मशान यहां है, हम इसे तोड़ने नहीं देंगे।"
कलेक्टर का बयान
कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने मीडिया से कहा, "मामला मेरे संज्ञान में आया है। वक्फ बोर्ड ने किस आधार पर नोटिस जारी किया, इसकी जांच की जाएगी। हम दोनों पक्षों को सुनकर न्यायसंगत कार्रवाई करेंगे।" जिला प्रशासन ने अभी तक इसकी भनक न लगने की बात स्वीकारी है, जिससे सवाल उठ रहे हैं।