चंडीगढ़
दशकों से चले आ रहे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच सीमा विवाद के अब जल्द सुलझने के आसार हैं। इसके लिए सरकार की ओर से डिमार्केशन कॉलम के लिए 7.75 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दे दी है। इस परियोजना को अब डिटेल्ड एस्टीमेट की मंजूरी का इंतजार है, जिसके बाद काम शुरू करने के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे। दोनों राज्यों के बीच यह भूमि विवाद 1950 के दशक से चला आ रहा है जिस कारण अक्सर किसानों के बीच हिंसक झड़पें होती रहती हैं। इस मामले को सुलझाने के लिए कई बार दोनों राज्यों के उच्चाधिकारियों के बीच बैठकें हुई लेकिन नतीजा शून्य रहा।
यमुना नदी के लगातार मार्ग बदलने से बढ़ा विवाद
हरियाणा और यू.पी. के बीच सीमा विवाद की असल वजह यमुना नदी का मार्ग बदलना रहा है। इस नदी के लगातार बदलते मार्ग से उलझन को और बढ़ा दिया है, क्योंकि हरियाणा के किसानों द्वारा खेती की जाने वाली भूमि अक्सर यू.पी. की तरफ चली जाती है। खेतों में इस तरह के खम्भे लगाए जाने हैं। 1970 के दशक में सीमा विवाद सुलझाने के लिए दीक्षित समिति का गठन किया गया था। 1979 में दीक्षित पुरस्कार या हरियाणा-यू.पी. सीमा परिवर्तन अधिनियम 1979 को उस समय नदी के प्रवाह के आधार पर सीमा निर्धारित करने के लिए पेश किया गया था। हालांकि कई सीमा स्तंभ बाढ़ में बह गए या कथित तौर पर हटा दिए गए, जिससे वर्षों से विवाद फिर से शुरू हो गए। जनवरी 2020 में दोनों राज्य सरकारों ने एक संयुक्त बैठक की, जिसमें सर्वे ऑफ इंडिया की सहायता से गायब सीमा स्तंभों को फिर से बनाने पर सहमति व्यक्त की गई। इस योजना में यमुनानगर से पलवल तक यमुना के 300 किलोमीटर लंबे हिस्से में दोनों राज्य पी. डब्ल्यू.डी. द्वारा स्तम्भ लगाए जाने की बात शामिल थी। 5 साल पहले अक्तूबर 2020 में करनाल के बड़ी कलां गांव में परीक्षण चरण शुरू हुआ, जहां सर्वे ऑफ इंडिया ने खम्भों के स्थान की पहचान की।
विवाद की सीमा पर दोनों राज्य अब तक नहीं लगा पाए खम्भे
दोनों राज्यों के बीच बनी सहमति के मुताबिक हरियाणा पी. डब्ल्यू.डी. को 20 खम्भे लगाने थे, जबकि यू.पी. पी.डब्ल्यू.डी. को 24 खम्भे लगाने थे, लेकिन हरियाणा केवल 9 खम्भे ही लगा पाया। जून, 2021 में परियोजना की समीक्षा की गई, लेकिन बाढ़ और रसद संबंधी बाधाओं ने प्रगति को रोक दिया। मौजूदा परियोजना के तहत अकेले करनाल जिले में 604 खम्भे लगाए जाएंगे जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 302-302 खम्भे लगाए जाएंगे। हरियाणा विषम जबकि उत्तर प्रदेश सम संख्या वाले खम्भे लगाएगा। करनाल में चिन्हित 302 स्थानों में से 85 खम्भे पहले ही स्थापित हो चुके हैं, जबकि 217 खम्भे अभी स्थापित किए जाने बाकी हैं।