नई दिल्ली डेस्क/ पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र चुनाव आयोग सख्त रुख अख्तियार किए हुए है| इसी क्रम में अब आयोग ने नोटबंदी के फैसले के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के खाते में भारी-भरकम रकम जमा किए जाने के आरोपों वाली याचिका पर पार्टी से जवाब तलब कर लिया है| चुनाव आयोग ने बसपा सुप्रीमो मायावती को जारी नोटिस में 15 मार्च तक जवाब देने को कहा है| नोटिस जारी होने के बाद बसपा ने प्रतिक्रिया स्वरूप कहा है कि चुनाव आयोग को उसके साथ-साथ सपा भाजपा और कांग्रेस से भी नोटबंदी के बाद अपने अपने खाते में जमा किए गए धन का विवरण मांगना चाहिए|
चुनाव आयोग ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका का उल्लेख किया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पार्टी ने पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद छोटी सी अवधि में कई बार अपने बैंक खाते में भारी भरकम रकम जमा की| आयोग की चुनाव व्यय इकाई द्वारा जारी नोटिस के मुताबिक, ‘आपसे अनुरोध है कि आपकी पार्टी द्वारा नकदी में प्राप्त चंदों और पार्टी के खातों में जमा धन के संबंध में याचिका में उठाए गए मुद्दे पर अपनी टिप्पणियां और विचार भेजें’| इससे पहले खबरों के अनुसार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी पार्टी को इस संबंध में नोटिस जारी किया है|
प्रवर्तन निदेशालय को 26 दिसंबर को यहां यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा में बसपा के एक खाते में कुल 104 करोड़ रपये से अधिक नकदी जमा होने का पता चला था| मालूम हो कि चुनाव आयोग ने बसपा प्रमुख मायावती को एक नोटिस जारी कर कहा है कि वह पार्टी के खाते में नोटबंदी के बाद जमा किए गए रुपये की विस्तृत जानकारी 15 मार्च तक उपलब्ध कराएं| मिश्रा ने कहा कि उनकी पार्टी दी गई समय सीमा के अंदर अपना जवाब दाखिल कर देगी, क्योंकि उसने कुछ गलत नहीं किया है और बैंक में जो भी जमा किया गया वह नियम कानूनों के तहत किया गया है|