TIL Desk #Election बाबा विश्वनाथ की पवित्र नगरी काशी में यू पी के सत्ता संग्राम का सातवां द्वार भेदने को कुछ ऐसा रण हुआ कि ख़ुद भोलेनाथ कैलाश पर बैठे अपना माथा ठोकने को मजबूर हो गए होंगे | यहाँ भगवा सेना कि कमान ख़ुद पी एम् मोदी ने संभाली तो सपा-कांग्रेस गठबंधन के नेता अखिलेश व डिंपल के साथ राहुल भी रथ पर सवार थे | मायावती भी लाव लश्कर के साथ नीला परिचम लहराती काशी के रोहनियां में विशाल जन समुदाय के सामने इन् दोनों ही दलों को कोसती रहीं पर इस सबसे अनजान बना निर्वाचन आयोग सारा तमाशा मूक दर्शक की तरह देखता रहा | न कोई नियम आड़े आया और न ही कानून | जबकि पूर्वांचल के ही 7 जिलों कि 49 सीटों पर वोट डाले जा रहे थे | यहाँ तक कि मतदान वाली आजमगढ़ सीट के कुछ पोलिंग बूथ वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट से महज़ 12 किलोमीटर कि दूरी पर थे | इन् दोनों ही रोडशो में कांग्रेस व् भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच टकराव-हाथापायीं व् पथराव तक कि नौबत आ गयी |
शानिवार कि सुबह से ही पूरे बनारस में ही गहमागहमी थी | चूँकि मामला पी एम् व् सी एम् के रोड शो का था इसलिए सुरक्षा बलों के लाखों जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात थे | जिला प्रसाशन के माथे पर पसीना था तो पेशानी पर बल | 11 बजे के आस-पास मोदी का रोड शो बीएचयू गेट से शुरू हुआ तो काल भैरव मंदिर तक गया | रास्ते भर लाखों कि भीड़ व् सुरक्षा बलों के जवान भगवा झंडों के बीच नज़र ही आये | उधर गठबंधन के नेताओं अखिलेश-डिंपल व् राहुल का रोड शो वाराणसी के दूसरे रुट से निकला तो वंहाँ भी ऐसा ही नज़ारा था | हर ओर नरमुंड ही नरमुंड दिखाई पड़ रहे थे | दोनों ही पार्टियां पूरे शौर्य व् पराक्रम के साथ अपना शक्ति प्रदर्शन करती नज़र आयीं | बसपा सुप्रीमों ने रोड शो तो नहीं किया लेकिन वो भी वाराणसी जा पहुंचीं | उन्होंने रोहनियां में एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर सीधा आरोप लगाया कि मोदी व् अखिलेश के रोड शो में भीड़ स्थानीय नहीं थी बल्कि अन्य जिलों जहाँ चुनाव हो चुकें हैं और दूसरे राजयों से बुलाये गए लोग ही थे | जबकि मेरी सभा में सभी स्थानीय लोग हैं |
इस शक्ति प्रदर्शन को देख राजनीतिक समीक्षक चुनाव आयोग को आड़े हांथो ले रहें हैं | उनका तर्क हैं कि जिस समय पड़ोस के ज़िलों में मतदान चल रहा हो तब ऐसे रोड शो करने कि परमीशन देना न्याय संगत नहीं हैं | क्योंकि कई न्यूज़ चैंनलों ने इन् कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण किया जिससे वोट पड़ने वाले क्षेत्रों के मतदाताओं कि दशा व् दिशा दोनों प्रभावित हो सकते हैं | नियमानुसार चुनाव वाले भागों में 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद हो जाता हैं | यहाँ तक कि अख़बारों व् न्यूज़ चैंनलों के एक्ज़िट पोल रिपोर्टों तक पर रोक लगी हुई हैं | चुनाव आयोग यदि असल में मतदान प्रभावित होने वाली किसी भी कार्यदशा से बचना चाहता हैं तो उसे ऐसे किसी भी राजनीतिक आयोजन कि परमिशन देने से बचना चाहिए | तभी उसे निष्पक्षता कि दृस्टि से देखा जा सकता हैं |
सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
TV INDIA LIVE (Broadcasting Service)
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