वजूद बनाने नेता चले कॉलेज कैंपस!!!
TIL Desk/ #Editorial– दिल्ली कॉलेज कैंपस की आग अब दूसरे कॉलेज कैंपस तक भी पहुँच चुकी है | छात्र राजनीति में कूदे बड़े-बड़े राजनीति के धुरंधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (#एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के बीच प्रोटेस्ट मार्च, हाथापाई और पुलिस से दो-दो हाँथ सब चल रहा है | इन सब के बीच गुरमेहर कौर और उमर खालिद ने सुलगा दिया है बोलने की स्वतंत्रता और देश भक्ति का जिन्न | राहुल गाँधी, सीताराम येचुरी, के सी त्यागी, अरविन्द केजरीवाल दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ खड़े है या कहिये #गुरमेहरकौर, #एनएसयूआई और #उमरखालिद के साथ खड़े है | उनके हिसाब से देश विरोधी नारे लगाने वाले उमर खालिद जिस पर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है उसका महिमा मंडन सही है | गुरमेहर कौर का कहना है कि “उसके पिता को भारत-पकिस्तान युद्ध ने मारा है न कि पकिस्तान ने” सारा विवाद यही से तूल पकड़ लेता है बेचारा #ट्विटर, #फेसबुक और #व्हाट्सएप्प इन सब का कसूरवार बनता है |
जब इतना रायता फ़ैल ही गया है तो मेरी निष्पक्ष पत्रकारिता से नहीं रहा गया और उसने कहा व्यक्ति विशेष के लिए नहीं खड़ा हो सकता हूँ पर देश के #प्रधानमंत्री पद की गरिमा के लिए तो खड़ा हो सकता हूँ | #मोदी प्रधानमंत्री देश के संविधान द्वारा बनाये गए है न कि स्वयं जाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ गये है | वर्तमान में जिस तरह से इस देश में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर शाब्दिक हमले हो रहे है उसका स्तर एक सड़क छाप नेताओं के वक्तवयों जैसा ही है | यूपी के सीएम #अखिलेशयादव चुनावी मंच पर खड़े होकर प्रधानमंत्री की तुलना #गधे से करते है | दूसरी तरफ सज़ायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री #लालूप्रसादयादव जो चुनाव भी नहीं लड़ सकते है चुनावी मंच से प्रधानमंत्री को गाली देते है और सबसे घटिया इंसान बताते है | लालू यादव पुत्र शासित राज्य #बिहार में उनके समर्थक प्रधानमंत्री की फोटो पर जूते मारते हैं |
मोदी की अप्रत्याशित जीत ने बड़े-बड़े नेताओं का बिस्तारा गोल कर दिया या कहिये राजनीति से बडे बड़ों का टिकट काट दिया | विपक्षियों की हर चुनौती और रणनीति को भेदते हुए मोदी पूर्ण बहुमत से भारत के प्रधानमंत्री बने | मोदी से मिली इस हार को विपक्षी आज भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे और न ही देश के प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को पचा पा रहे है | प्रधानमंत्री को नीचा दिखने के लिए ये बड़े-बड़े लीडर अब फिर से अपने राजनीतिक काल की पुनरावृत्ति करते हुए कॉलेज कैंपस की राजनीति में कूद पड़े है | #कन्हैयाकुमार, #हार्दिकपटेल, अरविन्द #केजरीवाल, #अखिलेशयादव, लालू प्रसाद यादव और #ममताबनर्जी सरीखे लोगों ने प्रधानमंत्री के पद का मख़ौल बना दिया है | लोकतंत्र ने चुनाव लड़ने का मौका सबको दिया है पर जो जीतता है वही सिकंदर होता है | तो फिर हारने के बाद जीतने वाले प्रत्याशी को गली गलौज और अपशब्द क्यों | सच या झूट बोलने की आज़ादी आपके पास भी थी तो जीतने वाले को अपशब्द क्यों |
भारत सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है जिसका प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री करता है | ऐसे में हारे हुए नेता और पार्टियां इस पद बैठे व्यक्ति विशेष को जिस तरह से अपशब्द और गलियां देते है आपत्तिजनक प्रोटेस्ट करते है ये सब लोकतंत्र में कहाँ तक जायज है | देश में ऐसे कई संविधान है जिसके द्वारा सरकार की कमियों, खामियों और उसके द्वारा लागू किये गये फैसलों पर रोक लगाई जा सकती है और जानकारी प्राप्त की जा सकती है | लेकिन कुछ लोग और पार्टियाँ या व्यक्ति विशेष महज लोकप्रियता हासिल करने के लिए साथ ही देश का माहौल ख़राब करने के लिये प्रधानमंत्री या अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिये अपशब्दो का इस्तेमाल करते है | क्या यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिये ख़तरा नहीं है जहाँ “बोलने की आज़ादी ” के नाम पर लोग गाली देते है और देश की गरिमा के साथ छेड़छाड़ करते है |
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