लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि राजधानी लखनऊ में तड़के मारे गए संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह के तार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से जुड़े थे, इसका कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि वह आईएसआईएस के साहित्य और विचारों से स्वत: प्रेरित था।
यूपी अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) दलजीत सिंह चौधरी ने मीडिया से कहा कि इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है कि सैफुल्लाह के आईएसआईएस से संबंध थे। आज के युग में कोई भी युवा आईएसआईएस के बहकावे में आ सकता है। उन्होंने कहा कि हम नहीं कहते कि वे किसी संगठन से जुड़े था। वह नेट सामग्री के प्रभाव में आ जाते हैं और अपना आचरण और संकल्प उसी तरह करने लगते हैं। इसी प्रभाव में इन सभी ने काम करने का विचार किया और धीरे-धीरे करने की कोशिश की। मध्य प्रदेश की घटना के बाद उनकी असली गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली। वह आईएस-खोरासान के नाम से अपनी पहचान बनाना चाह रहे थे। उन्होंने छोटी घटनाओं का प्रयास किया मगर नाकाम रहा।
इंटरनेट, सोशल मीडिया के माध्यम से वे प्रेरित हो जाते हैं। मध्य प्रदेश में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुए विस्फोट के बाद गिरफ्तार तीन संदिग्ध आतंकी, उसके बाद कानपुर और इटावा में संदिग्धों की गिरफ्तारियां तथा सैफुल्लाह के साथ मुठभेड़ का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए चौधरी ने बताया कि गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों और सैफुल्लाह के आईएसआईएस से जुड़े होने का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है।
जब सवाल किया गया कि आईएस-खोरासन माड्यूल का प्रमुख कौन था, तो चौधरी ने बताया कि सभी संदिग्ध आतंकियों का नेता अतीक मुजफ्फर था। चौधरी ने बताया कि सैफुल्लाह की जब आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने घेराबंदी की तो वह शहादत की बात करने लगा। उसे आत्मसमर्पण के लिए राजी करने के काफी प्रयास किये गये लेकिन वह लगातार गोलीबारी करता रहा। एटीएस ने भी जवाबी फायरिंग की और अंत में सैफुल्लाह मारा गया। उन्होंने बताया कि ठाकुरगंज के मकान में सैफुल्लाह के साथ तीन अन्य युवक रहते थे। ट्रेन विस्फोट के बाद पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर कानपुर, औरैया और लखनऊ में छापेमारी की गई।