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सोने के बढ़ते दामों का असर, ज्वेलर्स की घटेगी सेल, लोगों का बजट टाइट

नई दिल्ली
ऐन शादियों के सीजन के बीच सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं और इसका सीधा असर ज्वेलरी रिटेलर्स पर पड़ रहा है। अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है और सर्राफा बाजारों से रौनक कम हो रही है। CRISIL रेटिंग्स की एक रिपोर्ट कहती है कि 2026 तक ऑर्गनाइज्ड ज्वेलर्स की सेल (वॉल्यूम) 9-11 प्रतिशत तक घट सकती है। चूंकि सोना महंगा बिकेगा, इसलिए इनकी कमाई (रेवेन्यू) में 13-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। पिछले चार सालों से इनकी कमाई 20 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ रही है, लेकिन लोग महंगाई की वजह से कम वजन (ग्राम) का सोना खरीद रहे हैं।

सोना रिकॉर्ड तोड़ रहा
2025 में सोने की कीमतों में 25 प्रतिशत उछाल आया और अप्रैल 2025 तक ये 20 प्रतिशत और बढ़ चुका है। अगर अब भी कीमतें 4-5 प्रतिशत बढ़ती हैं, तो 2026 में औसत कीमत 22-24 प्रतिशत ज्यादा होगी।

सोना भाव आज
आईबीजेए के मुताबिक आज 24 कैरेट गोल्ड की बिना जीएसटी कीमत 96075 रुपये प्रति 10 ग्राम है। इससे पहले बुधवार को यह 96085 रुपये पर बंद हुआ था। जबिक, चांदी के भाव 96613 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 97616 रुपये पर पहुंच गया है।

लोगों का बजट टाइट: महंगाई की मार से लोग सोना कम वजन का खरीद रहे हैं। शादी-त्योहार के सीजन में भी यही ट्रेंड देखा गया।

ऑफर्स का दौर: रिटेलर्स टियर-2 और टियर-3 शहरों में डिस्काउंट और प्रोमोशन चला रहे हैं ताकि सेल बनी रहे।

कंपनियों को फायदा भी, नुकसान भी
मुनाफा बढ़ेगा:
सोने की कीमत बढ़ने से रिटेलर्स को "इन्वेंटरी गेन" (खरीदे हुए सोने से ज्यादा दाम पर बेचने का फायदा) होगा। इससे ऑपरेटिंग मार्जिन 7.8-8 प्रतिशत के आसपास पहुंच सकता है, जो पिछले दो सालों से घट रहा था।

कर्ज बढ़ेगा, मगर डरने की बात नहीं: नए स्टोर्स और स्टॉक खरीदने के लिए कर्ज बढ़ेगा, लेकिन कमाई और मुनाफा भी बढ़ने से कंपनियां इसे संभाल पाएंगी। CRISIL के मुताबिक, इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो 6 गुना से ज्यादा रहेगा, जो अच्छा संकेत है।

सरकारी नीतियां भी साथ दे रही
GST और BIS हॉलमार्क की वजह से लोग ऑर्गनाइज्ड रिटेलर्स की तरफ भरोसा कर रहे हैं। पिछले साल गोल्ड इम्पोर्ट पर ड्यूटी कम होने से भी कीमतों को थोड़ी राहत मिली थी।

आगे क्या होगा?
2026 में इंडस्ट्री का टर्नओवर 4.5-5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है मगर, सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव या सरकारी नियमों में बदलाव (जैसे इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ना) से खतरा बना रहेगा। CRISIL के एक्सपर्ट्स का कहना है, "लोगों का बजट फिक्स्ड है, इसलिए वे कम ग्राम का सोना खरीदेंगे। मगर, ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की ग्रोथ बनी रहेगी क्योंकि भरोसा बढ़ रहा है। कर्ज बढ़ेगा, मगर कंपनियों की फाइनेंशियल हेल्थ अच्छी रहेगी।"

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