Madhya Pradesh, State

छिंदवाड़ा में राजकुमारी के साथ हादसा 22 लाख की रिंग झरने में गिरी, आदिवासियों ने दो दिन की मेहनत के बाद निकाली

 छिंदवाड़ा

सात समंदर पार से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा पहुंची चेक गणराज्य की राजकुमारी जित्का क्लेट की खोई हुई शादी की अंगूठी को पातालकोट के आदिवासियों ने खोजकर ईमानदारी की अनोखी मिसाल पेश की है. इस अंगूठी की कीमत करीब 22 लाख रुपए थी और इसे खोजने के लिए राजकुमारी ने 5 लाख रुपए के इनाम का ऐलान किया था. लेकिन आदिवासियों ने इसे अपनी मेहमान और बहन मानते हुए केवल 41 हजार रुपए ही स्वीकार किए. यह घटना देश-विदेश में चर्चा का विषय बन गई है.

यह पूरा मामला छिंदवाड़ा के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य प्रकाश इंडियन टाटा से जुड़ा है, जो पातालकोट की जड़ी-बूटियों से रोगियों का इलाज करते हैं. प्रकाश टाटा ने बताया कि 6 महीने पहले वे यूरोप के दौरे पर थे, जहां मैक्स इन द वर्ल्ड कंपनी ने उन्हें छह देशों में आयुर्वेद और योग के शिविर लगाने के लिए आमंत्रित किया था. इस दौरान उनकी मुलाकात चेक गणराज्य की प्राग निवासी राजकुमारी और फैशन डिजाइनर जित्का क्लेट से हुई. जित्का स्पाइन की गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं, जिसका इलाज वैज्ञानिक चिकित्सा में संभव नहीं था. प्रकाश टाटा ने आयुर्वेदिक दवाओं से उनका इलाज शुरू किया, और छह महीने में उन्हें काफी राहत मिली.

जित्का ने प्रकाश टाटा से पातालकोट की अनमोल जड़ी-बूटियों के बारे में सुना था और इसे देखने की इच्छा जताई. इसके बाद 16 अप्रैल 2025 को वे दिल्ली से नागपुर और फिर छिंदवाड़ा पहुंचीं. प्रकाश टाटा ने उन्हें अपने घर पर ठहराया और अगले दिन 17 अप्रैल को जिले के पर्यटन स्थलों की सैर कराई.

छोटा महादेव पर नींबू पानी बेचने वाले मनोज ने संभाली कमान
घटना के बाद छोटा महादेव पर नींबू पानी की दुकान चलाने वाले मनोज विश्वकर्मा ने यह जिम्मा उठाया कि राजकुमारी की अंगूठी ढूंढकर वापस की जाएगी। मनोज ने आसपास के गांवों से एक दर्जन से ज्यादा आदिवासी युवकों को बुलाया। युवाओं ने तय किया कि जब तक अंगूठी नहीं मिलती, कोशिश जारी रहेगी। फिर शुरू हुआ संघर्ष — झरने के ठंडे पानी में उतरकर घंटों रेत निकालना, पत्ते हटाना और उसे छानना। दिन-रात की मेहनत रंग लाई और दो दिन बाद रेत के बीच से वह कीमती अंगूठी मिल गई।

राजकुमारी ने कहा- पांच लाख दूंगी, आदिवासियों ने मना कर दिया
अंगूठी मिलने की खबर जब राजकुमारी तक पहुंची तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने आदिवासियों को 5 लाख रुपए देने की पेशकश की। लेकिन युवाओं ने पैसा लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'आप हमारी मेहमान हैं। हम आपके दर्द की कीमत नहीं लगा सकते।' आदिवासियों ने बस अपनी मेहनत की मजदूरी के रूप में 41 हजार रुपए लिए।

भावुक होकर राजकुमारी बोलीं- भारतीय संस्कृति को सलाम
राजकुमारी ने इस घटना के बाद कहा, 'भारत ने एक बार फिर दिल जीत लिया। यहां के लोग सिर्फ जमीन से नहीं, दिल से भी जुड़े हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि वह इस अनुभव को कभी नहीं भूलेंगी। इलाज के लिए आई थीं, लेकिन यहां के लोगों की ईमानदारी ने उनके दिल का भी इलाज कर दिया।

क्यों आईं थीं छिंदवाड़ा?
दरअसल, राजकुमारी इटका क्लेट अपने स्पाइन के आयुर्वेदिक इलाज के लिए छिंदवाड़ा पहुंची थीं। सोशल मीडिया के जरिए उन्हें डॉ. टाटा के आयुर्वेदिक उपचार की जानकारी मिली थी। इलाज के दौरान ही उन्होंने तामिया और पातालकोट घूमने की इच्छा जताई थी। यहीं घूमने के दौरान छोटा महादेव झरने पर यह वाकया हुआ, जिसने भारत की मेहमाननवाजी और आदिवासियों की ईमानदारी को दुनिया के सामने एक मिसाल के रूप में खड़ा कर दिया।

छोटा महादेव में खोई अंगूठी
प्रकाश टाटा ने जित्का को पातालकोट, तमिया और छोटा महादेव जैसे मध्य प्रदेश महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल दिखाए. छोटा महादेव में एक प्राकृतिक झरना है, जो पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है. जित्का वहां झरने में मस्ती करने लगीं और पानी व रेत उछालने लगीं. इसी दौरान उनकी शादी की हीरे जड़ी अंगूठी कहीं गिर गई, जिसकी कीमत 22 लाख रुपए थी. अंगूठी गुम होने पर जित्का की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने और वहां मौजूद पर्यटकों ने करीब आठ घंटे तक अंगूठी खोजने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिली.

प्रकाश टाटा ने जित्का को सांत्वना दी और कहा, "चिंता मत करो, भोलेनाथ की कृपा से अंगूठी मिल जाएगी." इसके बाद जित्का ने अंगूठी खोजने वाले को 5 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की और छिंदवाड़ा वापस आ गईं. उस रात चिंता के कारण वे देर रात 2 बजे तक सो नहीं पाईं.

आदिवासियों की मेहनत और ईमानदारी
अगले दिन 18 अप्रैल को छोटा महादेव में छोटी-छोटी दुकानें लगाने वाले स्थानीय आदिवासियों ने अंगूठी की खोज शुरू की. उन्होंने पहले पेड़ों के पत्तों को हटाकर और झाड़ू लगाकर मैदान को साफ किया, लेकिन अंगूठी नहीं मिली. फिर उन्होंने झरने के पास रेत में खोज शुरू की, जहां जित्का मस्ती कर रही थीं. काफी मेहनत के बाद आखिरकार उन्हें वह हीरे की अंगूठी मिल गई.
आदिवासी युवकों ने तुरंत इसकी जानकारी प्रकाश टाटा को दी.

प्रकाश टाटा ने जित्का को फोन कर बताया कि उनकी अंगूठी मिल गई है. जित्का को पहले विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए अंगूठी देखने की इच्छा जताई. मनोज विश्वकर्मा नाम के व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर अंगूठी दिखाई, जिसे देखकर जित्का की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े. उन्होंने कहा, "दुनिया में इतने ईमानदार लोग कहीं नहीं देखे. 22 लाख की अंगूठी मिलने के बाद भी इन्होंने हमें बताया."

5 लाख के इनाम को ठुकराकर लिए ₹41 हजार
जित्का तुरंत प्रकाश टाटा के साथ छोटा महादेव पहुंचीं. वहां अंगूठी देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने आदिवासियों को 5 लाख रुपए देने की कोशिश की, लेकिन आदिवासियों ने यह राशि लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "आप हमारी मेहमान हैं, हमारी बहन हैं. हम आपसे इतना पैसा नहीं लेंगे." जित्का के आग्रह पर उन्होंने सिर्फ 41 हजार रुपए स्वीकार किए. इस दौरान जित्का ने आदिवासियों के साथ सेल्फी भी ली और वादा किया कि अगली बार छिंदवाड़ा आने पर वे उनके लिए गिफ्ट लाएंगी.जित्का 19 अप्रैल को छिंदवाड़ा से अपने देश चेक गणराज्य के लिए रवाना हो गईं.  

 

 

 

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