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पाक एयरस्पेस बंद होने से Air India को हो सकता है मिलियन डॉलर का नुकसान

 नई दिल्ली
 पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव है। इस घटना के बाद भारत ने पाक के खिलाफ कई बड़े एक्शन लिए हैं। इस बीच पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस को 23 मई तक बंद रखने का ऐलान किया है।

पाकिस्तान के इस फैसले का असर भारतीय विमानों पर भी देखने को मिल सकता है। इस बीच एयर इंडिया ने केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी है और कहा कि पाकिस्तान के एयरस्पेस के बंद होने से एयरलाइन कंपनी को 12 महीनों में करीब 600 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।

दरअसल, भारतीय एयरलाइन्स को ईंधन की बढ़ी हुई लागत और लंबी यात्रा अवधि का सामना करना पड़ रहा है।

रॉयटर्स के अनुसार कंपनी ने केंद्र सरकार से इस नुकसान की भरपाई करने की अपील की है. रॉयटर्स के अनुसार, सिविल एविएशन मिनिस्‍ट्री (Aviation Ministry) को एअर इंडिया द्वारा भेजे गए पत्र में एयरलाइंस ने 27 अप्रैल को भारत सरकार से आर्थिक नुकसान के नुपात में 'सब्सिडी मॉडल' की मांग की थी, जिसमें अनुमान लगाया था कि एयरस्‍पेस प्रतिबंध होने के कारण हर साल उसे 50 अरब भारतीय रुपये (591 मिलियन डॉलर) से ज्‍यादा का नुकसान होगा.

AIR इंडिया ने पत्र में क्या लिखा?

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने विमानन मंत्रालय को लिखे पत्र का हवाला देते हुए बताया कि विमान कंपनियों को होने वाले नुकसान को देखते हुए, एयर इंडिया ने सरकार से आनुपातिक सब्सिडी की मांग की है। पत्र में कहा गया कि प्रभावित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए सब्सिडी एक अच्छा, सत्यापन योग्य और उचित विकल्प है, स्थिति में सुधार होने पर सब्सिडी हटाई जा सकती है। एयर इंडिया ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।

पाकिस्तान के एयरस्पेस बंद होने से भारी नुकसान
जानकारी दें कि मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि एयर इंडिया का पत्र तब भेजा गया जब सरकार ने अपने अधिकारियों से भारतीय एयरलाइन्स पर हवाई क्षेत्र प्रतिबंध के प्रभाव का आकलन करने को कहा।

बता दें कि भारत में 26.5% बाजार हिस्सेदारी रखने वाली एयर इंडिया यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के लिए उड़ान भरती है। एयरलाइंस के विमान अक्सर पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से ही होकर गुजरते हैं। यह बड़ी घरेलू प्रतिद्वंद्वी इंडिगो की तुलना में कई अधिक लंबी दूरी के मार्गों का संचालन करती है।

नुकसान को कम करने पर विचार कर रही सरकार
वहीं, समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, मामले से परिचित तीन अन्य लोगों ने बताया कि भारत सरकार पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को बंद करने से एयरलाइन उद्योग को होने वाले नुकसान को कम करने के विकल्पों पर विचार कर रही है। एक अन्य सूत्र ने बताया कि भारतीय एयरलाइन्स ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ संभावित समाधानों पर काम करने के लिए मुलाकात की है।

वहीं, अपने पत्र में एयर इंडिया ने सरकार से कुछ ओवरफ्लाइट मंजूरी के लिए चीनी अधिकारियों के साथ संपर्क करने को कहा, हालांकि इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया। इसके साथ ही एयरलाइ कंपनी ने सरकार से संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा की उड़ानों में अतिरिक्त पायलटों को ले जाने की मंजूरी देने के लिए भी कहा ताकि यात्रा का समय अधिक हो।

सरकार ने एयरलाइंस को आकलन करने को कहा था
एअर इंडिया के इस लेटर में कहा गया है कि प्रभावित इंटरनेशनल फ्लाइट के लिए सब्सिडी एक अच्छा, वेरिएबल और उचित विकल्प है. स्थिति में सुधार होने पर सब्सिडी हटाई जा सकती है. रिपोर्ट का कहना है कि सरकार द्वारा एअर इंडिया (Air India) के अधिकारियों से भारतीय विमानन कंपनियों पर हवाई क्षेत्र प्रतिबंध के प्रभाव का आकलन करने को कहने के बाद एअर इंडिया ने ये लेटर भेजा है.

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि एअर इंडिया, IndiGo और Spicejet समेत कई एयरलाइंस ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को बंद (Pak AirSpace Close) करने के प्रभाव पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय को अपने इनपुट और सुझाव दिए हैं. इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी. उन्होंने बताया कि मंत्रालय स्थिति का आकलन कर रहा है और इस मुद्दे को हल करने के लिए संभावित समाधानों पर विचार कर रहा है.

मंत्रालय ने हाल ही में पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को बंद करने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कई एयरलाइंस के साथ बैठक की और स्थिति से निपटने के लिए उनके सुझाव मांगे. पाकिस्तान ने 24 अप्रैल को भारतीय एयरलाइंस के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था.

हवाई क्षेत्र बंद होने से क्‍या होगा असर?
उत्तर भारतीय शहरों से संचालित होने वाली इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए एक्‍स्‍ट्रा लागत हर हफ्ते 77 करोड़ रुपये होने की संभावना है, क्योंकि हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध के कारण ईंधन की खपत बढ़ जाएगी और उड़ान की अवधि भी लंबी हो जाएगी. पीटीआई द्वारा विदेशी उड़ानों की संख्या और बढ़ी हुई उड़ान अवधि तथा अनुमानित व्यय के आधार पर किए गए कैलकुलेशन के विश्लेषण से पता चला है कि भारतीय एयरलाइंस के लिए अतिरिक्त मासिक परिचालन लागत 306 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है.

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