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रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय के बीच कई बातों पर बनी सहमति, अब जमीन अधिग्रहण में नहीं आएगी समस्या

नई दिल्ली
जमीन समेत अन्य अनेक मामलों में रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय के बीच खींचतान और उसके कारण परियोजनाओं में होने वाली देरी को समाप्त करने के लिए दोनों मंत्रालयों ने नए सिरे से एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहमति पत्र से पीएम गति शक्ति के तहत आने वाली बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में आ रहीं अड़चनों को दूर करने में मदद मिलेगी। दोनों मंत्रालयों ने पिछले साल नवंबर में भी नेशनल हाईवे कॉरिडोर में आने वाले रोड ओवर और रोड अंडर ब्रिजों के लिए इसी तरह के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।

मिलकर समाधान निकालेंगे मंत्रालय
उसी के अनुरूप अब जमीन समेत अन्य मामलों को लेकर भी अनुबंध किया गया है। नए समझौते में एक-दूसरे की जमीन लेने की प्रक्रिया को और सरल और समयबद्ध किया गया है। इसके साथ ही दोनों मंत्रालय समन्वय के लिए प्रोजेक्ट स्तर पर समितियों का भी गठन करेंगे और विवाद वाली स्थितियों में मिलकर समाधान तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। सहमति पत्र के अनुसार अगर हाईवे निर्माण के लिए रेलवे की जमीन का कोई हिस्सा सड़क परिवहन मंत्रालय अथवा एनएचएआई को चाहिए तो उसे उसके ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा और रेलवे 90 दिनों के भीतर वह जमीन सौंप देगा। यही प्रक्रिया रेलवे की जरूरतों के लिए भी लागू होगी।

साझा पोर्टल किया जाएगा तैयार
चूंकि सड़क परिवहन मंत्रालय के पास अभी इस तरह का कोई पोर्टल नहीं है इसलिए रेलवे को ऑफलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के 15 दिनों के भीतर दोनों मंत्रालयों की एक संयुक्त टीम जमीन की पहचान करेंगी। जमीन और आरओबी तथा आरयूबी के मामलों के समाधान के लिए दोनों मंत्रालयों ने हर दो महीने में समीक्षा बैठक करने का भी फैसला किया है। इसके अतिरिक्त दोनों मंत्रालय एक साझा पोर्टल भी विकसित करेंगे जिसमें इन मामलों को दर्ज किया जा सकेगा।

 

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