Madhya Pradesh, State

उज्जैन में चौबीस खंभा और महाकाल का महत्व, 2600 साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए मंदिर समिति की पहल

उज्जैन
 भगवान महाकाल के दर्शन करने आने वाले भक्त अब भव्य द्वारों से होकर मंदिर पहुंचेंगे। प्रबंध समिति ने महाकाल मंदिर की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर विशाल द्वार बनवाने का निर्णय लिया है। मंदिर के आसपास भव्य द्वार बनाने की परंपरा 2600 साल पुरानी है।

अलग-अलग कालखंड में राजा-महाराजा मंदिर के पहुंच मार्गों पर द्वार बनवाते रहे हैं। आज भी चौबीस खंभा व महाकाल द्वार इसके प्रमाण हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुसार मंदिर समिति इतिहास का पुनर्लेखन भी करा रही है।

अशोक मौर्य ने कराया था द्वारों का जीर्णोद्धार

धर्मधानी उज्जैन में दुर्ग व द्वार की परंपरा छठी शताब्दी ईसा पूर्व से चली आ रही है। पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने बताया कि राजा चंद्र प्रद्योत ने महाकाल मंदिर पहुंच मार्गों पर भव्य द्वार बनवाए थे। जब अशोक मौर्य उज्जैन आए तो उन्होंने द्वारों का जीर्णोद्धार कराया।

इसके बाद सम्राट विक्रमादित्य ने इनका संरक्षण किया। राजा भोज के शासन में भी यह परंपरा जीवित रही और उन्होंने चौबीस खंभा द्वार बनवाया। पुराने समय में इसी द्वार से भक्त महाकाल दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश किया करते थे। आज भी यह द्वार नगरीय सभ्यता के गौरवशाली इतिहास की गाथा सुना रहा है।

भव्य और मनोरम महाकाल द्वार

महाकाल मंदिर के उत्तर में महाकाल द्वार स्थित है। रामघाट पर शिप्रा स्नान के बाद श्रद्धालु इसी द्वार से मंदिर में प्रवेश करते थे। इस द्वार का निर्माण मध्यकाल में हुआ है। द्वार के दोनों ओर भगवान गणेश की मूर्ति विराजित है।

सुरक्षा के लिए देवी-देवताओं की प्रतिष्ठा

राजा महाराजा नगर की सुरक्षा के लिए द्वारा का निर्माण कराते थे। यह द्वार आक्रांताओं के आक्रमण से नगर को सुरक्षित रखते थे। व्याधियों से रक्षा के लिए भी इन द्वारों का विशेष महत्व था। नगर प्रवेश द्वारों पर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती थी।

चौबीस खंभा, महाकाल द्वार, सती गेट सहित नगर में मौजूद द्वारों पर देवी-देवता विराजित हैं। अनादिकाल से समय-समय पर इनका पूजन किया जाता है। आज भी नगर की सुख-समृद्धि के लिए चौबीस खंबा स्थित माता महामाया व महालया की शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर नगर पूजा की जाती है।

प्रबंध समिति की बैठक में निर्णय

कलेक्टर रोशन कुमार सिंह की अध्यक्षता में आठ मई को आयोजित मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में महाकाल मंदिर पहुंच मार्गों पर द्वार बनाने का निर्णय लिया गया है। समिति उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से इन द्वारों का निर्माण कराएगी।

योजना में यह खास

    बड़ा गणेश, हरसिद्धि, शक्ति पथ पर होगा विशाल द्वारों का निर्माण।
    नीलकंठ, नंदी, धनुष तथा शहनाई द्वार पर धातु के कलात्मक द्वार बनेंगे।

 

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