Bihar & Jharkhand, State

सीएम नीतीश कुमार के दो विरोधी एक हुए, आरसीपी की ‘आसा’ प्रशांत किशोर की जन सुराज में विलीन

पटना

नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और आप सबकी आवाज(आसा) के सुप्रीमो आरसीपी सिंह और जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे प्रशांत किशोर एक हो गए हैं। आसा का जन सुराज पार्टी में विलय हो गया है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के दो कट्टर विरोधी एक साथ आ गए हैं। दोनों कभी नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे हैं। बिहार में इसे बड़े पॉलिटिकल डेवलपमेंट के रूप में देखा जा रहा है।

पूर्व आईएएस रामचंद्र प्रसाद सिंह, आरसीपी नीतीश कुमारके बेहद विश्वस्त और करीबी थे। उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बना दिया। उन्हें जदयू कोटे से केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया। लेकिन समय के साथ नीतीश कुमार और आरसीपी के बीच दूरी इतनी बढ़ गई कि आरसीपी ने जदयू छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। लेकिन वहां भी नहीं टिक पाए और अपनी नई पार्टी बना ली।

आरसीपी ने कहा कि एक सप्ताह पहले ही यह तय कर लिया था कि 18 तारीख को यह काम लिया जाएगा। आज रविवार का दिन है, भगवान का सूर्य का दिन।आज दोनों पार्टियों का विलय होना बहुत शुभ है।

उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए और आईएनडीआईए को दो मजबूत गठबंधन माना जाता है। हम लोगों ने इन दोनों के साथ काम किया है। हम दोनों ने इन लोगों के लिए मजदूरी की। अब पहली बार अपना घर बना रहे हैं। हमारा घर है सुंदर बिहार, खुशहाल बिहार। पीएम मोदी कहते हैं कि 2047 तक विकसित भारत बनाने की बात कहते हैं। लेकिन, कभी विकसित बिहार बनाने की बात नहीं करते हैं।

बिहार के लोगों को डेमोरलाइज किया जाता है कि बिहार में कुछ नहीं है। लेकिन नवादा से भागलपुर तक खनिज का भंडार है। लेकिन कभी खुदाई नहीं हुई। बिहार में दो-दो जगह सोना का भंडार है। टंगस्टन का अकूत भंडार है। केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते नीतीश कुमार को चार घंटे तक समझाया। लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया।

आरसीपी ने कहा कि मैंने और प्रशांत जी ने पहले भी काफी काम किया और आगे भी काम करके दिखाएंगे। लोग हम लोगों को तीसरे नंबर पर बता रहे हैं। परीक्षा में भले ही तीसरे नंबर पर रहें लेकिन जब रिजल्ट निकलेगा तो फर्स्ट पोजिशन हमारा होगा।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 2010 तक मैं सरकारी सेवक था। उसके बाद नीतीश कुमार की पार्टी में आया और राष्ट्रीय अध्यक्ष तक गया। केंद्र में मंत्री रहते सभी नेताओं से अच्छे संबंध रहा। परिस्थिति आई की जदयू छोड़ना पड़ा। बीजेपी के लोगों कहा कि हमारे साथ आ जाइए तो चला गया। सवा साल तक रहा लेकिन मुझे कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। कहा कि इससे तो ना आपको फायदो होगा ना मुझे। मैं बैठकर रहने वाला आदमी नहीं हूं तो काम करने के लिए अपनी पार्टी बना ली।

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