यूपी डेस्क/ चुनाव में हारने के बाद भी समाजवादी पार्टी में छिड़ा घमासान खत्म नहीं हो पा रहा है। सपा मुख्यालय में मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में न तो शिवपाल यादव पहुंचे और न ही आजम खां। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को बैठक में बुलाया ही नहीं गया। सूत्रों का कहना है कि शिवपाल और मुलायम के बाद अब आजम खां भी विधानमंडल दल का नेता न बनाए जाने से नाराज हो गए हैं।
माना जा रहा है कि सपा ने विधायकों से बात करने के लिए विधानमंडल दल की बैठक बुलाई थी। जिस वक्त पार्टी दफ्तर में बैठक चल रही थी, शिवपाल बाहर से तो गुजरे, लेकिन बैठक में नहीं गए। विधायकों की बैठक में रामपुर से विधायक आजम खां और उनके बेटे स्वार से विधायक अब्दुल्ला आजम भी नहीं आए। बताया गया कि वह रामपुर में किसी निजी कार्यक्रम में व्यस्त हैं। पहले यह कहा जा रहा था कि आजम ही विधानमंडल दल के नेता होंगे, पर बाद में योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद राम गोविंद चौधरी के नाम पर सहमति बन गई।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भले ही विधानसभा के सदस्य नहीं हैं, लेकिन विधानसभा के बाहर सरकार को घेरने की जिम्मेदारी सपा के एमएलए और एमएलसी ने अखिलेश यादव को ही सौंपी है। सपा की विधानमंडल दल की बैठक में सभी सदस्यों ने अखिलेश यादव को विधानमंडल दल का नेता चुना है। इसके बाद तय माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ही विधान परिषद में नेता विरोधी दल होंगे। पार्टी ने विधान परिषद में सपा का नेता चुनने के लिए अखिलेश यादव को अधिकृत किया है। विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों की बैठक में पूर्व मंत्री बलराम यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने अखिलेश यादव को नेता विधानमंडल दल बनाने का प्रस्ताव किया। वहीं विधान परिषद में नेता चयन का अधिकार अखिलेश यादव को दिए जाने का प्रस्ताव राजेन्द्र चौधरी ने रखा। सोमवार को सपा ने रामगोविंद चौधरी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुना था।