लखनऊ डेस्क/ विधानसभा चुनावों में यूपी को ‘यह साथ पसंद है’ नारे को लेकर कांग्रेस के साथ आई एसपी को बुरी तरह हार के बावजूद अब भी एसपी-कांग्रेस गठबंधन पसंद है, लेकिन कांग्रेस साइकल का हैंडल छोड़ने को बेकरार है। एसपी के नेता नगर निगम चुनावों में भी खुलकर कांग्रेस के साथ जाने की बात कह रहे हैं तो कांग्रेसी ‘साथ’ छुड़ाने का अभियान छेड़े हैं। परिसीमन और आरक्षण के बाद ही तय हो पाएगा कि हाथ साइकल के हैंडल पर रहेगा या छोड़कर चला जाएगा। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हाथ का साथ लंबा चलने की बात कही थी। नेताओं के बीच कई दफा बातचीत में भी इस पर लगभग सहमति ही बनी हुई है।
चाहे यह कैडर के बीच अखिलेश की बात की स्वीकार्यता हो या फिर नेता दबाव में ही यह बात बोल रहे हैं, लेकिन वह नगर निगम चुनावों में भी साथ ही जाना चाह रहे हैं। नगर निगम में एसपी पार्षद दल के नेता सैयद यावर हुसैन रेशू कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही साफ कर चुके हैं। साथ बरकरार रहेगा तो हम उसी लाइन पर चलेंगे। हमारी लाइन इससे इतर नहीं है। बीजेपी से टक्कर लेने के लिए गठबंधन जरूरी रहेगा। सबको साथ आकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है।
वहीं, कांग्रेस के नेता इससे इतर राय रखते हैं। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव गिरीश मिश्र मामले में फैसला आलाकमान पर छोड़ते हैं। कहा कि हम हर चुनौती के लिए तैयार हैं, साथ रहेगा या नहीं यह ऊपर से तय होगा। वहीं नाम न छापने की शर्त पर बड़े नेता कहते हैं कि बैठकों में साथ को लेकर बहुत ऑपरेशन हो चुका है। साथ के चलते ही 28 से 7 सीटों पर आ गए। कांग्रेस को अब साथ नापसंद है। प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी के साथ बैठक में इस पर हंगामा भी हो चुका है।