नई दिल्ली डेस्क/ सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने फैसला सुनाते वक्त कहा, निर्भयाकांड सदमे की सुनामी, जिस बर्बरता के साथ अपराध हुआ उसे माफ नहीं किया जा सकता। चारों ने फांसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली वाली बेंच ने फास्ट ट्रैक सुनवाई के बाद 27 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था। बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में 6 आरोपियों ने चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया था। उसे बस से फेंक दिया था। बाद में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी।
16 दिसंबर 2012 को 23 साल की पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया के साथ दिल्ली में गैंगरेप हुआ था| इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ मौत की सजा सुनाई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है| इस मामले में सितंबर 2013 में 6 दोषियों के खिलाफ मौत की सजा सुनाई गई थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 2014 में बरकरार रखा| इनमें से एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल के अंदर ही फांसी लगा ली थी| जबकि एक और दोषी नाबालिग होने के कारण अपनी तीन साल की सुधारगृह की सजा पूरी कर चुका है|
4 दोषियों अक्षय कुमार सिंह, पवन, विनय शर्मा और मुकेश ने दिल्ली हाईकोर्ट के फांसी के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा था। निर्भया की मां ने कहा था, मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। दोषियों को सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा सुनाएगा और मेरी बेटी को न्याय देगा। निर्भया के पिता ने कहा था, दोषियों को फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए। कोर्ट तो क्या, उन्हें भगवान भी माफ नहीं करेगा।
दिल्ली में पैरा मेडिकल की स्टूडेंट 23 साल की निर्भया 16 दिसंबर की रात अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर लौट रही थी। वह एक बस में अपने दोस्त के साथ बैठी। बस में मौजूद कुछ लोगों ने उसे धोखे से बैठा लिया था। 6 बदमाशों ने निर्भया से बर्बरता के साथ चलती बस में गैंगरेप किया था। बाद में उसे और उसके दोस्त को रास्ते में फेंक दिया था। 13 दिन बाद इलाज के दौरान सिंगापुर में निर्भया की मौत हो गई थी। देशभर में गैंगरेप केस का जमकर विरोध हुआ था। एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ में फांसी लगा ली थी। चार को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। घटना के वक्त जुवेनाइल रहे एक आरोपी को सुधार गृह भेजा गया था। 3 साल सजा काटने के बाद वह पिछले साल दिसंबर में रिहा हो गया।