सहारनपुर डेस्क/ सहारनपुर मामले में क्या दंगा फैलाने के लिए सुनियोजित षडयंत्र रचा गया? ये सवाल एक ऑडियो क्लिप के सामने आने के बाद उठ रहा है| सहारनपुर में दो लोगों की बातचीत की टेप पुलिस को सौंपी गई है| इस टेप में भीम आर्मी के लिए रिवॉल्वर जैसे हथियार जुटाने और लोगों को मार गिराने की चर्चा हो रही है| इतना ही नहीं इस टेप में पुलिस पर भी हमले की चर्चा हो रही है| ये क्लिप पुलिस को जांच के लिए सौंपी जा चुकी है|
इस वीडियो टेप में एक शख्स का नाम आलोक है, जो दूसरे शख्स से भीम आर्मी के लिए हथियार जुटाने के लिए बात कर रहा है|
दूसरा शख्स- अगर कुछ करना है ना तो अपने एरिया में ही कर लो सही बताऊं हूं तुम्हे| अगरा लड़ाई दंगा करना है ना तो जहां की स्थिति है वहीं बजा गेरे बस|
आलोक- तुम दो आदमी हो क्या कर लोगे?
दूसरा शख्स- असलहा बहुत है हमारे पास, कईयों को लेटा देंगे कम से कम बीसों को सामान है| फुल सामान है हर सामान है ए वन. एक 12 बोर का है एक 315 का है| गोली का भी है|
आलोक- राऊंड कितने हैं?
दूसरा शख्स- राउंड तो बहुत हैं, राउंड की टेंशन नहीं है|
आलोक- मण्डोर फेमस है| हाथ डालने से पहले देख लियो|
क्या है पूरा मामला?
सहरानपुर दलित और ठाकुरों के बीच हिंसा को लेकर चर्चा में हैं| 5 मई को शब्बीरपुर के पास गांव सिमराना में महारणा प्रताम की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन था| सिमराना गांव जाने के लिए शब्बीरपुर गांव के ठाकुर महाराणा प्रताप शोभायात्रा औऱ जुलूस निकाले| दलित समाज के लोगों ने विरोध किया और जूलूस निकलने नही दिया| यहां से बात बिगड़ी और शब्बीरपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुई तनातनी ने उग्र रूप धारण कर लिया| इसके चलते दोनों पक्षों के बीच पथराव, गोलीबारी और आगजनी भी हुई| इस दौरान एक युवक की पत्थर लगने से मौत हो गई जबकि लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए थे| जिसके बाद क्षत्रिय समाज के लोगो ने दलितो के घरो को तहस नहस कर दिया| कई लोगो को मारपीट कर घायल कर किया|
दरअसल जूलूस निकलने न देने की वजह एक और विवाद भी था जो मूर्ती को लेकर था| दरअसल शब्बीरपुर गांव के दलित प्रधान अंबेडकर की मुर्ति लागाना चाहते थे लेकिन क्षत्रिय समाज ने इसका विरोध किया जिसके बाद से तना तनी बढ़ गई|
भीम आर्मी का नाम पहली बार सहारनपुर हिंसा के बाद ही सुर्खियों में आया| भीम आर्मी दलित समुदाय का संगठन है और चंद्रशेखर इसके संस्थापक हैं| भीम आर्मी और इसके संस्थापक चद्रशेखर पर सहारनपुर में हिंसा भड़काने का आरोप है हालांकि भीम ऑर्मी ऐसे सभी आरोपों को खारिज करती है| बीजेपी भीम ऑर्मी का रिश्ता मायावती से जोड़ती है, वहीं मायावती भीम ऑर्मी के पीछे बीजेपी का हाथ बताती है| भीम आर्मी की स्थापना दो साल पहले हुई है|