यूपी डेस्क/ राज्य सरकार ने शिया-सुन्नी वक्फ बोर्डों में भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने दोनों बोर्डों को भंग कर उनके अध्यक्षों को हटाने की भी मुख्यमंत्री से सिफारिश की है। विभाग ने दोनों बोर्ड के अध्यक्षों पर वक्फ संपत्तियों में करोड़ों रुपये के घोटाले और अनियमितता का आरोप लगाया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में शिया एवं सुन्नी वक्फ बोर्ड में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले हुए। लिहाजा सरकार ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के घोटालों की सीबीआई जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है। शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन को बर्खास्त करने के पर्याप्त आधार हैं। इन्हीं आधारों पर इनकी बर्खास्तगी के लिए मुख्यमंत्री से सिफारिश की है। दोनों बोर्ड के नामित सदस्यों को हटाया जा चुका है।
उधर, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा का कहना है कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी को सुनवाई का अंतिम मौका देते हुए नोटिस दिया जाएगा। अगर वाजिब जवाब नहीं आता तो दोनों को हटा दिया जाएगा। इसके बाद दोनों बोर्ड में प्रशासक तैनात कर दिया जाएगा। मोहसिन रजा ने कहा-दोनों बोर्डों को भंग कर दिया गया है। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की भी सहमति मिल गई है। दोनों बोर्डों में प्रशासक बैठाए जाएंगे।
वहीं, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी बोले, दोनों बोर्डों के अध्यक्ष को हटाने की सिफारिश सीएम से की है। अभी बोर्ड भंग करने पर मुख्यमंत्री से सहमति नहीं मिली है। मोहसिन रजा ने बताया कि शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी और पूर्ववर्ती सपा सरकार में वक्फ मंत्री रहे आजम खान के कार्यों का भी वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया ने जांच की। इसमें भी कई अनियमितताएं पाई गईं। सेंट्रल वक्फ कमेटी ने भी यूपी से ढेरों शिकायतें मिलने के बाद सैयद एजाज अब्बास नकवी की अगुवाई में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में आजम खान को अखिलेश यादव सरकार में विवादित मंत्री करार दिया था। कमेटी ने आजम के कार्यालय के दुरुपयोग को भी माना था।