यूपी डेस्क/ चिप से पेट्रोल चोरी मामले की जांच पूरी होने के बाद पेट्रोल पंपों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। दो दिनों में 60 पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अब तक 46 लोग गिरफ्तार किए गए। 74 पेट्रोल पंपों को सीज किया गया है। जांच में कुल 194 पेट्रोल पंपों में गड़बड़ी मिली थी। सभी को सीज करने के साथ लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। खाद्य एवं रसद आयुक्त अजय चौहान ने बताया कि जिन लोगों के पेट्रोल पंपों का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा, उनके परिवार के किसी सदस्य को कभी लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। तेल कंपनियां चाहें तो इन पेट्रोल पंपों का संचालन खुद कर सकती हैं।
प्रदेश में 6600 पेट्रोल पंपों की जांच की जानी थी, जो की पूरी हो चुकी है। मंगलवार को ही 29 एफआईआर और की गई। खाद्य एवं रसद विभाग के एक अधिकारी के अनुसार जिन 194 पेट्रोल पंपों में गड़बड़ी मिली है, उसमें से कई को तेल की सप्लाई बंद कर दी गई है।खाद्य एवं रसद विभाग के सूत्रों की मानें तो पेट्रोल पंपों के खिलाफ कार्रवाई के बाद उन अफसरों का नंबर आएगा, जिनकी देखरेख में यह गोरखधंधा चल रहा था। इसमें जिला पूर्ति अधिकारी और बाट माप अधिकारी की भूमिका मुख्य थी।चोर पेट्रोल पंपों पर कार्रवाई में हीलाहवाली पर हाईकोर्ट की फटकार पर सरकार ने कोर्ट में कहा था कि वह कड़ी कार्रवाई करेगी। एसटीएफ ने ही पेट्रोल पंपों पर गड़बड़ी का खुलासा किया था।
जांच के दौरान मिलीभगत का एक और खेल सामने आया। सूत्रों की मानें तो पेट्रोल पंपों की जांच के लिए यदि डिस्पेंसिंग यूनिट खोली जाती है तो संचालक को बाट माप विभाग में प्रति नोजल 1600 रुपये जमा कराने होते हैं। ऐसे में नोजल न खोलने के लिए संचालक संबंधित अफसर को हर साल प्रति नोजल 1000 रुपये की रिश्वत देता है। जो पेट्रोल पंप घूस नहीं देने की बात करते हैं, उनकी यूनिट को साल में दो से तीन बार खोलकर सरकारी खजाने में पैसे जमा कराए जाते हैं।