रायबरेली डेस्क/ रायबरेली के ऊंचाहार स्थित नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) के प्लांट में बुधवार दोपहर 3.40 बजे बड़ा हादसा हुआ। 500 मेगावाट की यूनिट नंबर 6 की बॉयलर स्टीम पाइप धमाके के साथ फट गई। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने हादसे में 26 मौतों की पुष्टि की। मरने वालों की संख्या इससे काफी ज्यादा होने की आशंका है। वहीं, 100 से ज्यादा झुलस गए। एनटीपीसी के एजीएम संजीव कुमार शर्मा, प्रभात श्रीवास्तव और एजीएम मिश्रीराम झुलस गए जिन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया है। 32 सदस्यीय एनडीआरएफ टीम जिला प्रशासन और एनटीपीसी के साथ मिलकर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी रही। देर शाम तक घायलों को निकालने का सिलसिला जारी रहा।
एक पखवारा पहले ही यूनिट नंबर 6 से बिजली उत्पादन का कार्य शुरू कराया गया था। हादसे के वक्त 450 श्रमिक इस यूनिट में काम कर रहे थे। स्टीम पाइप के फटने से जोरदार धमाका हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक धमाके के साथ ही पूरी यूनिट 25-30 फीट ऊंचे धुएं के गुबार और लपटों में घिर गई।
हादसा होते ही सीआईएसएफ ने एनटीपीसी परिसर की घेराबंदी कर दी। लोगों का प्रवेश रोक दिया गया। प्रशासन और पुलिस के अफसर और कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू कराया। प्रतापगढ़ और रायबरेली की 40 एंबुलेंस बुला ली गईं। निजी बसें भी लाई गईं। इसके बाद एक-एक करके श्रमिकों को बाहर निकाला गया।
घटना पर एनटीपीसी उत्तरी क्षेत्र की सहायक जनसंपर्क महाप्रबंधक रुचि रत्ना का कहना है कि बॉयलर में दोपहर करीब 3.30 बजे 20 मीटर की ऊंचाई पर अचानक आवाज के साथ एक कोने में ओपनिंग हो गई। अंदर से गर्म गैस और भाप बाहर आने से आसपास काम कर रहे लोग चपेट में आ गए। 8 की मौत हो गई और करीब 80 लोग घायल हुए। दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए प्रबंधन की ओर से एक कमेटी गठित की गई है जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। तैयारियां आधी-अधूरी थीं…। आग से निपटने का मुकम्मल इंतजाम भी नहीं हुआ…। पर, इस सबके बावजूद 500 मेगावाट की 6 नंबर यूनिट को शुरू करा दिया गया। आखिर इतनी हड़बड़ी क्यों थी? ये सवाल हैं उन श्रमिकों के जो यहां काम करते हैं। बहरहाल एनटीपीसी के अफसर अपनी गर्दन बचाने में जुट गए हैं। अफसर सवालों का जवाब देने से कतरा रहे हैं।
एनटीपीसी की 500 मेगावाट की यूनिट नंबर 6 का संचालन करीब एक पखवारा पहले शुरू कर दिया गया। एक इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह यूनिट अभी सही से कमीशन भी नहीं हुई थी। फिर भी इसे जबरदस्ती मैन्युअल चला दिया गया। गुस्से में ये इंजीनियर कहते हैं ये यूनिट इसलिए चलाई गई कि अफसरों की प्रमोशन की लालसा पूरी हो। तीन साल का प्रोजेक्ट ढाई साल में पूरा करवाने के चक्कर में ये हादसा हुआ…।