लखनऊ डेस्क/ एक बार में तीन तलाक दिए जाने पर सजा के प्रावधान वाले बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस मुद्दे पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। राजधानी लखनऊ में मुस्लिम धर्मगुरु और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एग्जीक्यूटिव सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैर संवैधानिक करार दे दिया है तो संसद में बिल लाकर इस पर कानून बनाने का कोई औचित्य ही नहीं है।
फरंगी महली ने कहा, “ट्रिपल तलाक के खिलाफ कैबिनेट में मंजूर बिल काफी चौंकाने वाला है। जब सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैर संवैधानिक करार दे दिया है तो आप किसके खिलाफ और किस लिए कानून बना रहे हैं? इसके अलावा तीन करोड़ से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक से जुड़ी किसी भी बिल के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाकर विरोध किया है। उनका कहना है कि किसी भी सूरत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी। इसके बावजूद सरकार बिल संसद में पेश करने जा रही है. यह मुस्लिम महिलाओं की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है।
फरंगी महली ने कहा, “ सरकार तीन तलाक को बेवजह मुद्दा बना रही है. तीन तलाक अब कोई मुद्दा रहा ही नहीं। अगर सरकार वाकई मुस्लिम महिलाओं को लेकर चिंतित है और उनका भला चाहती है तो उसे सरकारी नौकरियों में आरक्षण देना चाहिए।
महली ने कहा, “ अगर सरकार सचमुच में मुस्लिम महिलाओं को लेकर गंभीर है तो पहले उसे उन महिलाओं के बारे में सोचना चाहिए जिनकी पतियों की हत्या गौ-रक्षा के नाम पर की गई। जिनके बच्चे झूठे लव जिहाद के नाम पर मारे गए. बेहतर होगा सरकार इन सब घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए, न कि तीन तलाक को मुद्दा बनाकर धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किया जाए। गौरतलब है कि 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक देने की प्रक्रिया को असंवैधानिक करार देते हुए केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर कानून बनाने को कहा था। जिसके बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह ने इस बिल का मसौदा तैयार किया. प्रत्सवित बिल सिर्फ एक बार में तीन तलाक कहने पर ही लागू होगा, जिसमें तीन साल तक की सजा और पीड़ित महिला व उसके बच्चे को गुजरा भत्ता देने का अधिकार दिया गया है।