नई दिल्ली डेस्क/ भारत-पाकिस्तान के संबन्धों में बढ़ती कडवाहट की सजा अब बच्चों को मिल रही है। भारत ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग में तैनात राजनयिकों और अधिकारियों से इस अकादमिक सत्र से अपने बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था पाकिस्तान से बाहर करने की सलाह दी है। ये हिदायत सुरक्षा के मद्देनजर दी गई है। इस हिदायत की ज़द में करीब 60 भारतीय बच्चे आएंगे, जिनमें से 50 वहां के अमेरिकन स्कूल में और 10 रूट्स इंटरनेशनल स्कूल में पढ रहे हैं। सरकार ने साफ कहा है कि हाई कमीशन का स्टाफ या तो अपने बच्चों को भारत वापस भेजे या फिर सपरिवार वापस आ जाएं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने सोमवार को कहा, ‘अपने राजनयिक मिशनों के कर्मचारियों एवं संबंधित नीतियों, जिनमें संबंधित स्थानों की वर्तमान स्थिति भी शामिल है, की समीक्षा करना सभी देशों के लिए सामान्य परिपाटी है।’ उन्होंने कहा, ‘इस अकादमिक सत्र से, इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था अगले नोटिस तक पाकिस्तान से बाहर करने की सलाह दी गयी है।’
अधिकारियों के अनुसार इस्लामाबाद में भारतीय मिशन में तैनात भारतीय अधिकारियों के स्कूल जाने वाले करीब 50 बच्चे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि ताजा घटनाक्रम बच्चों को स्कूल नहीं भेजे जाने वाले देश के रूप में पाकिस्तान का दर्जा घटाने जैसा है। पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आठ जुलाई को बुरहान वानी के मारे जाने के बाद भड़काऊ बयान दिया था जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कटुता बढ़ती जा रही है। वानी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन का वांछित आतंकवादी कमांडर था।
शरीफ ने न केवल वानी की प्रशंसा की बल्कि यह भी कहा था कि ‘कश्मीर एक दिन पाकिस्तान बन जाएगा’। इस बयान पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान का हिस्सा बनने का उनका सपना कयामत तक पूरा नहीं होगा। पिछले हफ्ते भारत ने पाकिस्तान से उच्चायोग पर मार्च और प्रदर्शनों की धमकी के मद्देनजर भारतीय अधिकारियों एवं उनके परिवारों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था। उससे पहले के हफ्ते ‘पाकिस्तान में कश्मीर का विलय दिवस’ और ‘काला दिवस’ मनाया गया था।