नई दिल्ली डेस्क/ सरकार पवन हंस के विनिवेश के लिये इस माह के अंत तक नये सिरे से बोली मंगाने के वास्ते दस्तावेज जारी कर सकती है। इसमें संभावित खरीदारों को हेलीकाप्टर सेवा कंपनी के ऊपर 500 करोड़ रुपये की आकस्मिक देनदारी के एवज में क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया जा सकता है। इससे पहले, कंपनी को बेचने का सरकार का प्रयास सफल नहीं हो पाया।
पवन हंस की बिक्री के लिये छह मार्च को संपन्न बोली प्रक्रिया में किसी बोलीदाता के आगे नहीं आने के बाद सरकार ने निवेशकों के साथ उनकी चिंता पर चर्चा के बाद बोली दस्तावेज को और आकर्षक बनाने का निर्णय किया है।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘ताजा प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) मई के अंत तक जारी किया जाएगा। कंपनी के ऊपर 500 करोड़ रुपये की आकस्मिक देनदारी के एवज में निवेशकों को क्षतिपूर्ति करने का निर्णय किया गया है। कंपनी के ऊपर यह देनदारी विवादित कर मांग से संबद्ध है।’’
सरकार की हेलीकाप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है और शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) के पास है। पवन हंस में पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी को बिक्री के लिये रखा गया है। कंपनी के पास 46 हेलीकाप्टर का बेड़ा है।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि परामर्शदाताओं के अनुमान के तहत 100 प्रतिशत पूरी हिस्सेदारी बिक्री से सरकार को 1000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।