लखनऊ डेस्क/ लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच रिश्तों में खटास लगातार बढ़ती जा रही है। मायावती ने ऐलान कर दिया है कि बसपा अब आगे के सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी और वह लगातार समाजवादी पार्टी (सपा) और अखिलेश यादव पर हमलावर हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में नुकसान होने के बाद भी सपा खामोश है। वह मायावती के किसी भी हमले पर प्रतिक्रिया नहीं कर रही है।
मायावती ने कहा, “लोकसभा चुनाव के बाद सपा का व्यवहार बसपा को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके भाजपा को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। इसलिए पार्टी और मूवमेंट (आंदोलन) के हित में अब बसपा आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।” वह यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने सपा पर हमला करते हुए कहा, “अखिलेश नहीं चाहते थे कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों को अधिक टिकट दिए जाएं। उन्हें डर था कि इससे वोटों का ध्रुवीकरण होगा।” उन्होंने इसके साथ यह भी कहा है कि बसपा कार्यकर्ता किसी मुद्दे पर धरना-प्रदर्शन नहीं करेंगे।
मायावती ने पार्टी की अखिल भारतीय स्तर की बैठक में कहा, “गठबंधन के चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने उन्हें फोन नहीं किया। सतीश मिश्रा ने उनसे कहा कि वह मुझे फोन कर लें, फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मैंने बड़ा होने का फर्ज निभाया और मतगणना के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनकी पत्नी डिंपल यादव और परिवार के अन्य लोगों के हारने पर अफसोस जताया।” मायावती ने कहा, “तीन जून को जब मैंने दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात कही तब अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन तब भी मुझसे बात नहीं की।”
उन्होंने इस मुद्दे पर अखिलेश के पिता मुलायम को भी घसीट लिया और कहा, “मुझे ताज करिडोर केस में फंसाने में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मुलायम सिंह यादव का भी अहम रोल था। अखिलेश की सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई। इसलिए उन्होंने वोट नहीं दिया। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को सलेमपुर सीट पर विधायक दल के नेता राम गोविंद चौधरी ने हराया, लेकिन अखिलेश ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की।”