वाराणसी डेस्क/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1913 में काशी में मां अन्नपूर्णा की एक मूर्ति चोरी हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण काशी की मां अन्नपूर्णा एक बार फिर से काशीवासियों को मिलने वाली हैं। आखिर एक सौ आठ वर्षो तक किसी अन्य सरकार की नजर उधर क्यों नहीं पड़ी? उन्होंने पूर्व में रही सरकारों से सवाल किया कि क्यों सौ वर्षो तक हम भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर मौन रहे? मुख्यमंत्री वाराणसी के संत रविदास घाट पर देव दीपोत्सव के मौके पर संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि, “मां गंगा की अविरलता और निर्मलता किसी से छिपी नहीं है। आज से छह वर्ष पहले तक इसी गंगा मैया में डुबकी लगाने से हिचकते थे, अगर दो दिन लगातार डुबकी लगा दिए, तो लाल चकत्ते निकल पड़ते थे। गंगे डॉल्फिन के नाम पर विख्यात डॉल्फिन लुप्त हो चुका था। आज पीएम मोदी के कारण गंगा स्नान ही नहीं, आचमन करने लायक बनी है। उन्होंने काशी में आते ही कहा था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है। प्रधानमंत्री का संकल्प था, नमामि गंगे परियोजना के सफलतम क्रियान्वयन के माध्यम से मात्र छह वर्ष में गंगा की निर्मलता हम सबके सामने है और आज गंगा के तट पर यह कार्यक्रम जहां एक नई ऊंचाइयों को छू रहा है।”
उन्होंने कहा कि, “संत रविदास और मां गंगा का अनन्य संबंध था। जब काशी में मां गंगा आईं, तो भैरवनाथ जी ने रोकने का प्रयास किया था। मां गंगा ने उस समय आश्वासन दिया था कि मैं काशी में कोई विघ्न, अड़चन नहीं डालूंगी, लेकिन मां गंगा को वास्तव में भगवान विश्वनाथ के चरणों में स्थान देने का कार्य विश्वनाथ धाम देने के माध्यम से अगर किसी ने इस परिकल्पना को साकार किया है, तो प्रधानमंत्री मोदी ने किया है।
योगी ने कहा कि, “हजारों वर्षो की कुंभ की विरासत को अव्यवस्था में तब्दील कर दिया था। भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को यूनेस्को ने मानवता की मूर्ति सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी। साथ ही दुनिया के दो सौ राजदूतों को प्रयागराज की धरती पर आमंत्रित करवाकर वैश्विक मंच पर कुंभ की इस परंपरा को स्थापित कर भारत की सांस्कृतिक मान्यता को एक नई ऊंचाई देने का कार्य किया।”