नई दिल्ली/इटावा डेस्क/ समाजवादी पार्टी से निष्कासित राज्यसभा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भावुक हो गए। रामगोपाल ने रोते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने पार्टी का संविधान लिखा हो, झंडे का चयन किया हो, चुनाव चिह्न का चयन किया हो, उस व्यक्ति को सपा के रजत जयंती समारोह से ठीक पहले निकाल दिया गया। ‘अगर लोगों को लगता है कि मेरे साथ अन्याय हुआ तो मेरा साथ दें…’, अपना दर्द बयां करते हुए उन्होंने कहा, कौन आदमी नहीं दुखी होगा? मैं अपनी तरफ से कभी बात नहीं कर सकता। मैंने कभी ऐसा कोई काम नहीं किया जो पार्टी के हित के खिलाफ हो। मेरा कोई लालच नहीं रहा कभी। कभी मंत्री नहीं बनना चाहा।
रामगोपाल ने आगे कहा कि मैं तो अपने आप को समाजवादी पार्टी का ही मानता हूं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला है कि कोई नेता जिस पार्टी के टिकट से पद में आता है, उस पार्टी से निकाले जाने पर भी पार्टी का सदस्य रहेगा। मैंने पार्टी के खिलाफ कभी कोई काम नहीं किया है। मैं अपने को निर्दोष मानता हूं। मुझे कभी मंत्री पद से लेना-देना नहीं रहा है। मैं यही चाहता हूं कि यूपी चुनाव अखिलेश के नेतृत्व में लड़ा जाए।
रामगोपाल ने कहा है कि पिछले दो महीने से समाजवादी पार्टी से कई नेताओं को असंवैधानिक तरीके से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नजरअंदाज करके टिकटों का वितरण किया जा रहा है। कई विधायक मुझसे मिले हैं और उनकी मंशा है कि सभी निष्कासित नेताओं की वापसी हो और टिकट वितरण मुख्यमंत्रीजी की देख रेख में हो। चुनाव अखिलेश जी नेतृत्व में लड़ा जाए और वहीं मुख्यमंत्री का चेहरा हो। मुख्यमंत्री अगले चुनाव में भी सबसे बड़ा चेहरा बनके उभरेंगे।’ उन्होंने नेताजी से किसी भी तरह की बात होने से इनकार किया।