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जानिए गणेश चतुर्थी का महत्व, चतुर्थी पर किस प्रकार की जाती है प्रथम पूज्य की आराधना

जानिए गणेश चतुर्थी का महत्व, चतुर्थी पर किस प्रकार की जाती है प्रथम पूज्य की आराधना

TIL Desk #Astro/ आज यानी 22 अगस्त से गणेश उत्सव आरम्भ हो रहा है। घर-घर में गणपति की स्थापना की जाएगी। भगवान गणपति के नामों का जाप, गणपति के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। वैसे भी शास्त्र कहते हैं कि हर शुभ काम के पहले गणपति की उपासना करना चाहिए। इससे कामों में आने वाले संकट टल जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान् शिव और माता पारवती के पुत्र गणेश का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन भद्रा मॉस के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी का नाम दिया गया। मंगलमूर्ति के पूजन से घर में सुख समृद्धि और वृद्धि आती है।

गणपति उत्सव के 10 दिनों में भगवान गणेश के मंत्र का जाप आपको मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकट या संकटा चौथ कहलाती है। इसे वक्रतुंडी चतुर्थी, माही चौथ, तिल अथवा तिलकूट चतुर्थी व्रत भी कहते हैं। मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है।

ज्योतिषियों और पंडितों का कहना है कि इस दिन तिल दान करने का महत्व होता है। इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। भगवान गणेश को मोदक अतिप्रिय हैं अतः उन्हें मोदक का भी भोग इस दिन लगाया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक देवी-देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखने वाले विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना जो लोग नियमित रूप से करते हैं, उनकी सुख-समृद्घि में बढ़ोतरी होती है। गणेश बुद्धि के देवता हैं। हर काम के शुभारंभ से पहले हमें बेहतर योजना, दूरदर्शी फैसले और कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है। अगर गणेश के पहले पूजन को सांकेतिक भी मानें तो ये सही है कि हर काम की शुरुआत के पहले बुद्धि का उपयोग आवश्यक है। और, बुद्धि देने वाले भगवान गणेश ही हैं।

भगवान गणेश की पूजन विधि :

मंगलमूर्ति को पंचामृत से स्नान के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौलि अर्पित करना चाहिए। तिल से बनी वस्तुओं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ के साथ गणेश मंत्र – ‘ॐ गणेशाय नमः’ का जाप 108 बार करना चाहिए। पुराणों में संकट चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान गणेश की अर्चना के साथ चंद्रोदय के समय अर्घ्य दिया जाता है। खासकर महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना गया है।

मिट्टी के गणेश की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। वहीं प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य केमिकल्स से बनी गणेश जी की मूर्ति में भगवान का अंश नहीं रहता। गणेश शुभारंभ की बुद्धि देते हैं और काम को पूरा करने की शक्ति भी। वे बाधाएं मिटाकर अभय देते हैं और सही- गलत का भेद बताकर न्याय भी करते हैं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति इस रात चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है ऐसा शास्त्रों में बताया गया है।

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