TIL Desk #Vastu/ भगवान के दर्शन मात्र से ही कई जन्मों के पापों का प्रभाव नष्ट हो जाता है। इसी वजह से घर में भी देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा है। इस कारण घर में छोटा मंदिर होता है। आज हम आपको बताएंगे कि घर का मंदिर किस दिशा में होना चाहिए।
ईशान कोण: ईशान कोण में पूजा का स्थान होने से परिवार के सदस्य सात्विक विचारों के होते हैं। उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी आयु बढ़ती है।
पूर्व दिशा : इस दिशा में पूजा का स्थान होने पर घर का मुखिया सात्विक विचारों वाला होता है और समाज में इज्जत और प्रसिद्धि पाता है।
आग्नेय: इस कोण में पूजा का स्थान होने पर घर के मुखिया को खून की खराबी की शिकायत होती है। वह बहुत ही गुस्से वाला होता है किंतु उसमे निर्भीकता होती है। वह हर कार्य का निर्णय स्वयं लेता है।
दक्षिण दिशा : इस दिशा में पूजाघर होने पर उसमें सोने वाला पुरूष जिद्दी, गुस्से वाला और भावना प्रधान होता है।
र्नैत्य कोण: जिन घरों में र्नैत्य कोण में पूजा का स्थान होता है उनमें रहने वालों को पेट संबंधी कष्ट रहते हैं। साथ ही वे अत्यधिक लालची स्वभाव के होते हैं।
पश्चिम दिशा: इस दिशा में पूजाघर होने पर घर का मुखिया धर्म के उपदेश तो देता है परंतु धर्म की अवमानना भी करता है। वह बहुत लालची होता है और गैस से पीडित रहता है।
वायव्य कोण: इस कोण में पूजाघर हो तो घर का मुखिया यात्रा का शौकीन होता है। उसका मन अशांत रहता है और किसी पर स्त्री के साथ संबंधों के कारण बदनामी भी होती है।
उत्तर दिशा: इस दिशा में पूजाघर हो तो घर के मुखिया के सबसे छोटा भाई, बहन, बेटा या बेटी कई विषयों की विद्वान होती है।
ब्रह्म स्थल: घर के मध्य में पूजा का स्थान होना शुभ होता है। इससे पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है।