TIL Desk #Pitrapaksh2019/ हिंदू धर्म में देवों के समान ही पितरों को भी बहुत विशेष स्थान देते हैं। ऐसे में पौराणिक मान्यताओं को माना जाए तो देवों से पहले पितरों की पूजा अर्चना का विधान है। इस वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा 13 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होने जा रही हैं। पितृ पक्ष जिसे श्राद्ध या कानागत भी कहा जाता है|इस साल पितृ पक्ष का समय 13 सितंबर से 28 सितंबर का हैं।
कहते हैं जब पितृ प्रसन्न होंगे तभी देव भी खुश होंगे। हिंदू अपने पूर्वजों (अर्थात पितरों) को विशेष रूप से भोजन प्रसाद के माध्यम से सम्मान, धन्यवाद व श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पितृपक्ष में निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
१. पितृ पक्ष में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद श्राद्ध कर्म के लिए भोजन बनाना चाहिए। ध्यान रखें इन दिनों में लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। गाय के गोबर से बने कंडे जलाकर उस पर धूप देना चाहिए। दीपक जलाकर पितर देवता को याद करना चाहिए। अगर संभव हो सके तो किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं। दान-दक्षिणा दें। पितरों से अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें।
२. श्राद्ध पक्ष में घर में शांति बनाए रखनी चाहिए। घर में क्लेश न करें, प्रेम से रहें। अधार्मिक कामों से बचें। नशे का सेवन न करें। घर में गंदगी न रखें। आलस्य से बचें और सभी का सम्मान करें।
३. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर देवता पृथ्वी लोक का भ्रमण करते हैं। इन दिनों में गया, हरिद्वार, उज्जैन, इलाहाबाद जैसे धार्मिक स्थलों पर पिंडदान किया जाता है। इन धर्म स्थलों पर तर्पण करने से पितृ देवता तृप्त होते हैं। जिस तिथि पर परिवार के व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उसी तिथि पर उस व्यक्ति के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए।