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“आप” सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से पीछे हटी?

TIL Desk/New Delhi- अरविन्द केजरीवाल के सबसे नजदीकी और प्रिय दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को विदेश का दौरा छोड़ कर वापस आना पड़ा| सिसोदिया को फौरन दिल्ली लौटने का आदेश देने वाले दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने यह साफ कर दिया की जनता की जिम्मेदारी लेने वालो को अपनी जिम्मेदारी से बहकने नहीं दिया जायेगा और बीच मझधार में नहीं छोड़ने दिया जायेगाI दिल्ली के उपराज्यपाल के इस आदेश से केजरीवाल सरकार सहित सिसोदिया की किरकिरी तो हुई ही, साथ ही साख को बचाये रखने का सकंट भी खड़ा हुआ एक बार फिर आप सर्कार की छवि धूमिल हुई।
आखिरकार उपराज्यपाल नजीब जंग को ऐसा कदम उठाने की आवश्यकता ही क्यो पड़ी? इन दिनों दिल्ली की जनता स्वास्थ्य संबंधी मुसीबत से गुजर रही है। डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप महामारी के रूप में पूरी दिल्ली में फैलता जा रहा है लेकिन इन सारी समस्याओ से बेफिक्र होकर केजरीवाल एंड कंपनी दिल्ली से बाहर है? दोनों बीमारियों से अब तक 30 मौतें हो चुकी हैं और हजारो की संख्या में लोग इसकी चपेट में हैं।

जाहिर है, यह स्थिति किसी भी सरकार के लिए युद्धस्तर पर काम करने की होती है और जनता को राहत पहुचाने की, न कि ज़िम्मेदारियों से भागने की| जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद का इलाज़ कराने के लिए बंगलुरु के एक अस्पताल में भर्ती रहे वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया विदेश यात्रा पर फ़िनलैंड में थे। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया का कहना है कि वे फिनलैंड की सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था खासकर स्कूल प्रणाली का अध्ययन करने फिनलैंड गए थे।आप सरकार का एक खास दावा दिल्ली में सरकारी स्कूलों की हालत में सुधार के लिए लगातार प्रयास करने का रहा है और सिसोदिया के पास शिक्षा विभाग भी है। लेकिन फिनलैंड की आदर्श स्कूली व्यवस्था को समझने के लिए यही समय क्यों चुना, जब दिल्ली की जनता डेंगू तथा चिकनगुनिया के दर्द से कराह रही है|

हलाकि मंत्री बनने से पहले मनीष सिसोदिया दिल्ली की ठंड में बेघरों की सुध लेने और उन्हें ठंड से बचाने का इंतजाम करने के लिए रात भर घूमते हुए जरूर दिख जाते थे। लेकिन सत्ता पाने के बाद उकनकी संवेदनशीलता कहा कहाँ खो गयी है| दिल्ली की जनता यह सवाल सिर्फ उनसे नहीं, पूरी आप सरकार और आम आदमी पार्टी के समूचे नेतृत्व से पूछना चाह रही है। अफ़सोस इसका जवाब देने के लिए कोई नहीं है| यह सही है कि दिल्ली सरकार के पास मामूली शक्तियां हैं हाइकोर्ट ने दो टूक कह दिया है कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के सर्वेसर्वा हैं।

लेकिन अरविन्द केजरीवाल और फिर सिसोदिया की गैर-हाजिरी का मामला अधिकार से जुड़ा प्रश्न नहीं है, बल्कि यह आम आदमी से जुड़ाव का प्रश्न है। जबकी आम आदमी पार्टी इस वादे और दावे के साथ दिल्ली में आई थी कि वह वीआईपी संस्कृति वाली राजनीति को ख़त्म करने आम आदमी है और उसकी सेवा के लिए है| आप पार्टी के द्वारा वैकल्पिक राजनीति को लेकर कही गयी सारी बातों की पोल खुल चुकी है आम आदमी होने का दम भरते रहे लोगों की पार्टी अब ‘नेता वर्ग’ और ‘वीआईपी’ कल्चर की पार्टी हो गयी| “आप” पार्टी का अन्य राजनीतिक पार्टियों से भिन्न होने के दावे में दम नहीं रह गया है| जनता वोट का दम जानती है उसे पता है कि विधान सभा की तीन कुर्सियां छोड़ सारी कुर्सियां आप के नाम की है तो असफलता की ज़िम्मेदारी मोदी और बीजेपी की कैसे|

राम बाबू (संवाददाता)
राजनीतिक डेस्क

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