नई दिल्ली डेस्क/ पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश यात्रा का केंद्र बिंदू एनएसजी में भारत की सदस्यता था। लेकिन अब चीन की अक्ल ठिकाने लाने के लिए एनएसजी ग्रुप में भारत की मेंबरशिप को लेकर अब नरेंद्र मोदी ने रूस की ओर कदम बढ़ाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब चीन को उसी की भाषा में समझाने की पहल शुरू कर दी है। चीन लाख कहे की वो भारत का साथ पसंद कारता है लेकिन जग जाहिर है की जब भी भारत कोई बड़ा कदम उठता है तो चीन उसमें रोड़ा जरुर डाल देता है।
पीएम मोदी ने मामले में अब रूस से मदद मांगी है। जिसके लिए बकायदा पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की और उनसे कहा कि वह भारत का एनएसजी ग्रुप में एंट्री का समर्थन करता रहे। वहीं अब यह कयास भी लगाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के बीच जल्द ही मुलाकात भी हो सकती है।
गौरलतब हो की चीन और पाकिस्तान का भारत के अच्छा रवैया नही रहा है। यह भी जग जाहिर है की पाकिस्तान भारत को फूटी आंख पसंद नही करता है और चीन भारत के बढ़ते कद से परेशान है। इस लिए चीन और पाकिस्तान ने भारत की न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में एंट्री रोकने के लिए हाथ मिलाया है। चीन के मंसूबों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीजिंग ने पाक का सपोर्ट करते हुए कहा है कि एनएसजी में भारत के साथ पाकिस्तान को भी एंट्री मिले या फिर दोनों में से किसी को भी नहीं।