हैदराबाद डेस्क/ भारतीय वैज्ञानिक विभिन्न क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी से जुड़े नक्शे तैयार करने के लिए और धरती के नीचे जल का पता लगाने के लिए विद्युत चुंबकीय संकेतों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सीएसआईआर-नेशनल जियोफिजीकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद ‘ट्रांजिएंट हेलीबोर्न इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक सर्वे’ नामक नई प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं।
इस प्रौद्योगिकी में, उपकरणों से लैस एक हेलीकॉप्टर धरती से आने वाले विद्युत-चुंबकीय संकेतों का आकलन करता है। एक बार डाटा लेकर विश्लेषित कर लिए जाने पर वैज्ञानिक धरती के नीचे की संरचनाओं का आकलन कर सकते है और धरती के अंदर सुचालक क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं। ये जलीय क्षेत्रों पर भी लागू होते हैं।
इसलिए अब वैज्ञानिक विभिन्न क्षेत्रों के जलीय नक्शों को तो तैयार कर ही सकते हैं, साथ ही यह भी पता लगा सकते हैं कि पानी किस गहराई पर उपलब्ध है। अब तक प्रायोगिक तौर पर उन्होंने छह क्षेत्रों का मानचित्रण किया है, जिनमें राजस्थान के रेगिस्तानी मैदान, उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदानी इलाके और तमिलनाडु के चट्टानी क्षेत्र शामिल हैं।
इसके परिणाम बेहद उत्साहवर्धक हैं और अकेले ऐसी प्रौद्योगिकी रखने वाला एनजीआरआई जल संसाधन मंत्रालय की मदद से पूरे देश के मानचित्रण का काम अपने हाथ में लेने के लिए तैयार है। प्रमुख वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर (सिस्मोलॉजी) डॉ एन पूर्णचंद्र राव ने बताया कि सरकार इस अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए बेहद उत्सुक है ताकि पूरे देश के जलस्तर संबंधी नक्शे को तैयार किया जा सके।