TIL Desk लखनऊ: मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ में डॉक्टरों ने ऑस्टियोजेनेसिस इम्पर्फेक्टा से पीड़ित 36 वर्षीय महिला – स्तुति उपाध्याय की जटिल किडनी स्टोन हटाने की सर्जरी को मिनिमली इनवेसिव तरीके से सफलतापूर्वक पूरा किया। यह एक दुर्लभ आनुवंशिक रोग है, जिसमें हड्डियां अत्यधिक नाजुक हो जाती हैं और मामूली हरकत भी फ्रैक्चर का कारण बन सकती है। महज तीन फीट लंबी स्तुति की हालत पारंपरिक सर्जरी को जोखिमपूर्ण बना रही थी।
स्तुति को बाईं तरफ तेज़ दर्द और पेशाब में दिक्कत की शिकायत के साथ मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ में भर्ती कराया गया। जांच में दाहिनी किडनी में कई पथरी पाई गई। उनके छोटे कद, नाजुक हड्डियों और अंगों की सीमित गतिशीलता के कारण सामान्य सर्जरी नहीं कर सकते थे। इसके अलावा, उनकी स्थिति के कारण किडनी में हड्डियों के अवशेष भी जमा हो गए थे, जिससे मामला और जटिल हो गया।
इस केस के बारे में बात करते हुए मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ में यूरोलॉजी के निदेशक डॉ. आदित्य के शर्मा, ने कहा, “ऑस्टियोजेनेसिस इम्पर्फेक्टा से पीड़ित मरीज का ऑपरेशन करते समय बेहद सावधानी रखनी होती है क्योंकि ज़रा सी गलत पोजीशनिंग से भी फ्रैक्चर हो सकता है। स्तुति की टेढ़ी रीढ़ और हड्डियों की समस्या के कारण किडनी तक पहुंचना बेहद मुश्किल था इसलिए हमें सर्जरी के दौरान बार-बार उनकी स्थिति को ध्यान से व्यवस्थित करना पड़ा।”
डॉ. शर्मा ने बताया, “हमने लेस इनवेसिव सर्जरी – एंडोस्कोपिक कंबाइंड इंट्रारेनल सर्जरी करने का निर्णय लिया। इसमें हमने दो छोटे उपकरणों का उपयोग किया। फ्लेक्सिबल यूरीटेरोस्कोपी में एक लचीला कैमरा और लेज़र होता है जो पेशाब की नली के माध्यम से अंदर जाता है। साथ ही पर्क्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी में एक छोटा चीरा पीठ पर किया जाता है जिससे किडनी तक सीधे पहुंचा जा सके। हमने यह सर्जरी मरीज़ के पीठ के बल लेटे रहने की स्थिति में करने की योजना बनाई, जिससे यह प्रक्रिया अधिक सुरक्षित रही और शरीर पर कम दबाव पड़ा।”
सर्जरी के बाद स्तुति को स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई और उनकी रिकवरी संतोषजनक रही। डॉक्टर उनकी प्रगति पर निरंतर नजर बनाए हुए हैं।