अहमदाबाद डेस्क/ गुजरात की गुलबर्ग सोसायटी में 2002 में हुए नरसंहार में षड्यंत्र के किसी भी पहलू से इनकार करते हुए विशेष अदालत ने आज कहा कि कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी द्वारा चलायी गयी गोलियों ने भीड़ को उकसाया और वह गुस्सा हो गयी, जिसके कारण उन्होंने इस तरह हत्याएं कीं, लेकिन गोलीबारी के कारण भीड़ की इस करतूत को माफ नहीं किया जा सकता है।
विशेष एसआईटी अदालत के न्यायाधीश पी. बी. देसाई ने अपने आदेश में कहा, ‘श्री एहसान जाफरी की निजी गोलीबारी ने उत्प्रेरक का काम किया और उसने भीड़ को इस कदर उकसा दिया कि उपलब्ध सीमित पुलिस बल के पास ऐसी भीड़ को रोकने का कोई उपाय नहीं था। गोलीबारी की घटना के बाद वहां बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गयी।’ जाफरी की बंदूक से आठ गोलियां चलीं, उनसे एक व्यक्ति की मौत हो गयी और 15 लोग घायल हो गए।
अदालत ने कहा, ‘श्री एहसान जाफरी गुलबर्ग सोसायटी में एक अलग जगह से भीड़ पर गोली चलाने के दोषी हैं, जिसके कारण एक व्यक्ति की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हो गए। मेरे विचार में वह उत्प्रेरक था, जिसने भीड़ को इस कदर उकसा दिया कि वह अनियंत्रित हो गयी और उसके कारण हत्याएं हुईं, बड़ी संख्या में मासूमों की जान गयी।’