इलाहाबाद डेस्क/ तलाक के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यह मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ क्रूरता है और इससे महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है | इस मामले में दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस सुनीत कुमार ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है |
गौरतलब है कि तीन बार तलाक को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जारी है, जिनमें महिलाओं का आरोप है कि उन्हें फेसबुक, स्काइप और व्हॉट्सऐप के ज़रिये भी तलाक दिया जा रहा है |
हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि पवित्र क़ुरान में भी तीन तलाक़ को अच्छा नहीं माना गया है | पिछले दिनों इस मुद्दे पर जब युनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर बहस गरम हुई थी तो इसे लेकर मुस्लिम समाज के एक वर्ग ने तीन तलाक में किसी तरह के बदलाव का जमकर विरोध किया था |
मुस्लिम समाज के उलेमा का कहना है कि तीन तलाक़ उनकी शरीयत का हिस्सा है और इसमें बदलाव का हक़ किसी को नहीं है | तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी कुछ मामले चल रहे हैं | दूसरी तरफ विधि आयोग ने भी जिन 11 सवालों पर आम लोगों की राय मांगी है उनमें तीन तलाक का भी सवाल दर्ज है | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी बुलंदशहर की हिना और उमरबी की ओर से दाख़िल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की है |