जम्मू डेस्क/ भारत प्रशासित जम्मू और कश्मीर में सरकार ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस के निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया। जम्मू-कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में गुरुवार को एक ऑर्डर जारी कर दविंदर सिंह को ‘राज्य की सुरक्षा’ के हित में नौकरी से हटा दिया। प्रशासन की तरफ से जारी एक आदेश के मुताबिक़ दो अन्य सरकारी शिक्षकों को भी नौकरी से बर्ख़ास्त किया गया है।
ग़ौरतलब है कि दविंदर सिंह को पिछले साल जनवरी में चरमपंथियों की मदद करने के आरोप में दक्षिणी कश्मीर से गिरफ़्तार किया गया था। उनकी गिरफ़्तारी श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर बसे दक्षिणी कश्मीर के क़ाज़ीगुंड शहर से हुई थी। दविंदर सिंह तब जम्मू जा रहे थे। उस वक़्त हिज़्बुल कमांडर सैय्यद नवीद, उनके सहयोगी आसिफ़ राथेर और इमरान भी उनकी गाड़ी में मौजूद थे।
58 साल के दविंदर सिंह 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ चलाये गए अभियान के दौरान प्रमुख पुलिसकर्मियों में रहे थे। दविंदर सिंह भारत प्रशासित कश्मीर के त्राल इलाक़े के रहने वाले हैं जिसे चरमपंथियों का गढ़ भी कहा जाता है। कश्मीर में मौजूदा चरमपंथ का चेहरा रहे शीर्ष चरमपंथी कमांडर बुरहान वानी का भी संबंध त्राल से था।
दविंदर सिंह का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने गिरफ़्तारी के समय बताया था कि उन्हें पैसों का काफ़ी लालच था और इसी लालच ने उन्हें ड्रग तस्करी, ज़बरन उगाही, कार चोरी और यहाँ तक कि चरमपंथियों की मदद करने को मजबूर कर दिया था। पिछले साल जब दविंदर सिंह को सस्पेंड किया गया था, तब उनके कई सहकर्मियों ने बताया कि वे ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों (जैसे बेक़सूर लोगों को गिरफ़्तार करना, उनसे मोटी रक़म लेकर रिहा करना) में शामिल रहे, लेकिन हर बार वो नाटकीय ढंग से इन सब आरोपों से बरी हो जाते थे.