कोलकाता डेस्क/ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पुत्र और कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया। पार्टी सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर लोकसभा सीट से दो बार सांसद रहे मुखर्जी की बीते कुछ सप्ताह से इस संबंध में तृणमूल नेतृत्व से बात चल रही थी। ‘ममता बनर्जी जिंदाबाद’ के नारों के बीच लोकसभा में तृणमूल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने पार्टी में उनका स्वागत किया।
मुखर्जी ने कहा, “दीदी पश्चिम बंगाल में भाजपा को रोकने में सफल रहीं। वह देश में सबसे विश्वसनीय धर्मनिरपेक्ष नेता हैं जो सांप्रदायिक भाजपा से लड़कर उसे हरा सकती हैं। मैंने एक कांग्रेस को दूसरी में शामिल होने के लिये छोड़ा है। हमें पक्का भरोसा है कि भविष्य में हम पूरे भारत में भगवा खेमे को रोकेंगे।”
पार्टी में शामिल हुए नेता ने कहा कि वह विधानसभा चुनावों से पहले से ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के संपर्क में थे, अगर वह चुनावों से पहले तृणमूल में शामिल होते तो यह आशय लगाया जाता कि उन्होंने किसी पद के लिये पाला बदल लिया।
मुखर्जी ने कहा, “मुझे किसी पद की लालसा नहीं। मैं जमीनी कार्यकर्ता हूं। मेरे पास कांग्रेस में कोई पद नहीं था बल्कि उसकी प्राथमिक सदस्यता थी जो हर तीन साल में खत्म हो जाती है। अब में टीएमसी का प्राथमिक सदस्य बन गया हूं और अब यह पार्टी पर है कि वह जिस तरह चाहे मेरी सेवाओं का उपयोग करे।”
राजनीति में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा कि वह 2011 के ऐतिहासिक विधानसभा चुनावों में बीरभूम जिले के नलहाटी निर्वाचन क्षेत्र से जीत का श्रेय लेने के हकदार नहीं है और उनकी जीत ममता बनर्जी की लहर के कारण हुई थी जिन्होंने राज्य से वाम मोर्चा सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था।
उन्होंने कहा, “उसी तरह, जिस तरह दीदी ने इस साल भगवा खेमे के विधानसभा चुनाव जीतने के हर तरह के प्रयास के बावजूद सांप्रदायिक भाजपा को हराया, उन्होंने कई कांग्रेसी नेताओं समेत पूरे देश का सम्मान हासिल किया।”